नक्सली बंद के दौरान यहां तीन दिनों तक दहशत में रहे रेल कर्मचारी, डेढ़ दशक में 58 बार हो चुका है हमला

झारखंड
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रांची। झारखंड में नक्सली बंद के दौरान रेलवे के सेंट्रल इंडस्ट्रियल कोर सेक्शन में 200 किलोमीटर रेल लाइन के बीच 15 वर्षों में 58 नक्सल हमले हुए हैं। ये आंकड़े बताने के लिए काफी है कि सीआईसी सेक्शन में रेल नक्सलियों का सॉफ्ट टारगेट है।

सात जनवरी 2014 के बाद सीआईसी सेक्शन में नक्सलियों ने कोई हमला नहीं किया। करीब सात वर्षों के बाद 20 नवंबर 2021 को नक्सलियों ने लातेहार के देमु में रेल पटरी को उड़ा दिया और दो रेल कर्मियों को काफी देर तक बंधक रखा। माओवादियों के सेकंड इन कमांड प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद 20 नवंबर को भारत बंद के दौरान यह हमले को अंजाम दिया था।

भाकपा माओवादियों ने प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के विरोध में बिहार, झारखंड, उतरी छत्तीसगढ़ और यूपी में कुछ हिस्से में 23, 24 और 25 नवंबर को बंद की घोषणा की थी। करीब सात वर्ष बाद रेल कर्मी तीन दिनों तक खौफ में रहे। रेलवे ने पहली बार नक्सल बंद के दौरान अपनी स्पीड लिमिट घटाई, इस दौरान रेल ने ट्रेनों की रफ्तार 110 से घटा 75 किलोमीटर प्रति घंटे कर दी गई।

ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के सहायक महामंत्री संतोष तिवारी ने बताया कि लंबे अरसे के बाद रेल पर हमला हुआ है, इस दौरान कर्मचारियों ने खौफ के बीच काम किया। धनबाद रेल डिवीजन के सीआईसी सेक्शन के पलामू रेंज में 200 किलोमीटर की रेल लाइन गुजरती है। यह पूरा इलाका अतिनक्सल प्रभावित है। वर्ष 2005 के बाद से यहां बड़े नक्सली हमले हुए हैं।

इनमें 11 जुलाई 2005 बेंदी और हेहेगड़ा स्टेशन के बीच ट्रैक पर विस्फोट और सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ हुई थी, जिसमें एक जवान शहीद हो गया था। 13 मार्च 2006 को हेहेगड़ा और कुमंडी के बीच ट्रेन इंजन में आग लगाकर ट्रैक को उड़ा दिया गया था। 14 मार्च 2006 को हेहेगड़ा और कुमंडी के बीच नक्सलियों ने बीडीएम पैसेंजर ट्रेन को 16 घंटे तक रोका था। दो अगस्त 2007 को नक्सलियों ने दो इंजन में आग लगा दी थी। छह सितंबर 2008 को रिचुघुटा स्टेशन पर हमला कर आरपीएफ जवानों से आठ हथियार और 400 गोलियां लूट ली गई थीं।

वहीं 22 अप्रैल 2009 को नक्सलियों ने हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन पर बीडीएम पैसेंजर ट्रेन को पहली बार हाईजैक किया था। साथ ही चियांकी रेलवे स्टेशन को विस्फोट से उड़ा दिया था। नौ सितंबर 2009 को हेहेगड़ा रेलवे स्टेशन को विस्फोट कर उड़ा दिया था। 14 फरवरी 2011 को केचकी के रेलवे स्टेशन मास्टर का अपहरण किया गया था।

वहीं सात जुलाई 2012 को हेहेगढ़ा रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी को कब्जे में लिया था। 12 जून 2013 को कुमंडी रेलवे स्टेशन पर ही नक्सलियों और सुरक्षाबलों में लंबी मुठभेड़ हुई थी। साथ ही 2014 में छिपादोहर में विस्फोट कर पटरी उड़ाई गई थी, जिसमें पलामू एक्सप्रेस चपेट में आयी थी।