दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में, प्रभाव पर एम्स का बड़ा खुलासा

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नई दिल्ली। देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। इसके प्रभाव को लेकर एम्स ने अध्ययन किया है। इसमें बड़ा खुलासा हुआ है। इसकी जानकारी खुद एम्स के निदेशक ने दी है।

वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली के अनुसार दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है। यहां की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) स्तर 533 पर है। दिल्ली के इंडिया गेट और विजय चौक क्षेत्र सहित कई इलाकों में शनिवार को भी धुंध दिखाई दी।

दीपावली के बाद से लगातार दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब है। साथ ही, आपास के इलाकों में किसानों के पराली जलाने का असर भी पड़ रहा है। पंजाब के लुधियाना के कोटला शमशेरपुर गांव में किसान खेतों में पराली जलाते हुए देखे गए।

उत्तराखंड के पर्यावरणविद मनु सिंह कहते हैं कि दीपावली के दिन पटाखे जलाने के कारण दो दिन बाद भी दिल्ली-NCR क्षेत्र की हवा निरंतर जहरीली बनी हुई है। पराली जलाने के कारण भी हवा बहुत जहरीली हो गई है। दिल्ली-NCR क्षेत्र में लोगों ने कोर्ट द्वारा पटाखे ना जलाने की अपील का उल्लंघन किया।

एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हर साल दिवाली और सर्दियों के समय उत्तरी भारत में पराली जलाने, पटाखों, दूसरी वजहों से दिल्ली और पूरे इंडो गैंजेटिक बेल्ट में स्मॉग होता है। कई दिनों तक विजिबिलिटी बहुत खराब रहती है। इसका सांस के स्वास्थ्य पर बहुत असर होता है।

डॉ गुलेरिया ने कहा हमने एक अध्ययन किया है। उसमें हमने देखा कि जब भी प्रदूषण का स्तर ज़्यादा होता है, तब उसके कुछ दिन बाद बच्चों और व्यस्कों में सांस की समस्या की इमरजेंसी विजिट बढ़ जाती है। ये तय है कि प्रदूषण से सांस की समस्या बढ़ जाती है।

ये भी डाटा आ रहा है कि हर साल वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों पर इसका लंबी अवधि में भी असर होता है। इससे उनके फेफड़ों के विकास पर भी असर होता है। उनके फेफड़ों की क्षमता कुछ हद तक कम होती है।

इस मामले में पंजाब के कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु कहते हैं कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किसानों और शहरी लोगों को भी सोचना चाहिए। हर इंसान को सोचना पड़ेगा। ये सिर्फ दिल्ली, पंजाब और हरियाणा का मामला नहीं है। ये वैश्विक मामला है।