रांची। अभी की सबसे बड़ी खबर यह आ रही है कि केंद्र सरकार ने डीआरडीए को बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। चालू वित्त वर्ष की समाप्ति के साथ ही एक अप्रैल 2022 से ये बंद कर दिया जायेगा।
इससे पहले 31 जनवरी को इसके पास बकाया राशि को जिला परिषदों को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। केंद्र सरकार कर्मचारियों को भी अन्य विभागों में समाहित करने की कोशिश करेगी। यहां बता दें कि मरनरेगा हो या पीएम आवास योजना या फिर सांसद निधि जैसी दर्जनभर से ज्यादा ग्रामीण विकास की योजनाओं का क्रियान्वयन डीआरडीए से ही होता था।

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 1 नवंबर को झारखंड सहित सभी राज्य सरकारों को लिखे पत्र में डीआरडीए को 1 अप्रैल, 2022 से बंद करने की जानकारी दी है। मंत्रालय के अपर सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों को बताया है कि वे इसके लिए क्या-क्या कदम उठा सकते हैं।
पत्र पर गौर करें, तो डीआरडीए को अब जिला परिषद के साथ विलय किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि डीआरडीए बंद होने के साथ ही इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी नहीं जाएगी। कर्मियों को योग्यता के अनुसार काम में लगाया जाएगा। डीआरडीए में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में वापस समाहित किया जा सकता है।
डीआरडीए में काम करने वालों को भी योग्यता के अनुसार अन्य विभागों में भेजा जा सकता है। यदि ऐसा फिटमेंट संभव नहीं है और जैविक नहीं है, तो उन्हें मनरेगा जैसी योजनाओं के साथ रखा जा सकता है। पीएमएवाई, एनएसएपी आदि में भी उनकी क्षमता और योग्यता के अनुसार नियुक्ति दी जा सकती है।
हालांकि, केंद्र के इस निर्णय से झारखंड के सभी जिलों के डीआरडीओ में संविदा पर 488 कर्मचारियों की नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं। डीआरडीए को बंद करने की प्रक्रिया नए साल में जनवरी से ही शुरू हो जाएगी।
डीआरडीए को जो फंड विभिन्न योजनाओं में जारी किया गया है। उसका जनवरी में ऑडिट कराया जाएगा। इसके बाद इनके पास जो भी राशि शेष होगी, उसे जिला परिषदों को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। 31 जनवरी को यह कार्य पूरा किया जाना है।