नई दिल्ली। पान-गुटखे की पीक रेलवे का सिर दर्द बन गई है। थूक मिटाने के चक्कर में रेलवे को 1200 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े हैं। रेलवे यात्रियों की इस हरकत को रोकने के लिए विज्ञापन पर अलग खर्च करता है।
रेलवे विज्ञापनों के जरिए यात्रियों से इधर-उधर नहीं थूकने की अपील करता है। इसके बावजूद स्थिति में सुधार होता नहीं दिख रहा है। रेलवे को थूक के दाग मिटाने के लिए सालाना 1200 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं। रेलवे परिसर में इस तरह की गंदगी फैलाने पर 500 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। रेलवे अब इस मुसीबत से निपटने के लिए नई योजना पर काम कर रहा है।
रेलवे ने इसके लिए एक स्टार्टअप EzySpit को ठेके दिए हैं। इस कंपनी के जरिए यात्री बायोडिग्रेडेबल पाउच वाला पीकदान खरीद सकेंगे। इस पाउच को कुछ इस तरह से बनाया गया कि इसमें थूक ठोस बन जाएगा।