उत्तर प्रदेश। आम तौर पर मंदिर का पट हर दिन खुलता है। भक्त दर्शन करने आते हैं। शीश झुकाते हैं। कोरोना काल में कुछ दिनों के लिए मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया था। अब फिर से यह खुलने लगा है। हालांकि इस मंदिर का पट साल में मात्र एक दिन ही खुलता है। इस मंदिर को बने हुए 150 सौ साल से अधिक हो गये। यह मंदिर सूबे के कानपुर में स्थित है।
कानपुर का यह दशानन मंदिर है। इसका पट साल में मात्र एक दिन ही खुला है। पुजारी चंदन को यहां 17 साल हो गए हैं। उनके मुताबिक यह मंदिर 1868 में बनाया गया था। यहां पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ये मंदिर साल में एक बार दशहरे पर ही खुलता है। विजयदशमी के अवसर पर मंदिर में दशानन रावण की पूजा की जाती है।
दशानन मंदिर में रावण की पूजा आरती पूरे विधि-विधान से की जाती है। रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है। इस मौके पर दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में रावण के दर्शन को जुटते हैं। रावण का पुतला दहन से पहले मंदिर के पट को भी बंद कर दिया जाता है।
शहर के बीचों-बीच बने इस मंदिर को अब 153 साल हो गये हैं। लोगों का कहना है कि रावण विद्वान था। वह भगवान शंकर का भक्त था, इसलिए उसकी पूजा साल में एक बार की जाती है। इस मंदिर में महिलाएं तरोई के फूल चढ़ाती हैं। मान्यता है कि इससे उनके पति की आयु लंबी होती है।