
रांची (झारखंड)। केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान के मनश्चिकित्सीय सामाजिक कार्य विभाग ने अनीता गर्ल्स कॉलेज में जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को किया। इसमें कोविड-19 महामारी और इसके प्रबंधन के दौरान सामना किए गए शिक्षकों के मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा की गई।
डॉ बासुदेब दास और डॉ दीपंजन भट्टाचार्जी ने इस अवसर पर एक वीडियो लॉन्च कर मनोरोग सामाजिक कार्य विभाग की नई पहल की शुरुआत की। इससे मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरुकता पैदा करने में मदद मिलेगी। इसके द्वारा संचालित गतिविधियों के बारे में जागरुकता फैलाया जा सकेगा।
सीआईपी के निदेशक डॉ दास ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य अभी भी आम लोगों के लिए एक कलंक है। इसके कारण मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटना अभी भी चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव पड़ा है। विशेष रूप से स्वास्थ्य और शिक्षा, ऑनलाइन शिक्षा, प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि के कारण उठाए गए मुद्दे और बच्चों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मनोचिकित्सा सामाजिक कार्य के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रभारी (मनोरोग सामाजिक कार्य विभाग) डॉ दीपंजन भट्टाचार्जी ने शिक्षा के ऑफलाइन से ऑनलाइन मोड में अचानक बदलाव पर बात की। बताया कि कैसे छात्र और शिक्षकों के समूह को शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनों के साथ लचीला होना चाहिए। उन्होंने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि इस दौरान शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को कैसे नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में सामना किए गए संकट से संबंधित अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा किया।
एसोसिएट प्रोफेसर (मनोचिकित्सा) डॉ वरुण मेहता ने कोविड-19 महामारी के दौरान स्कूल के शिक्षकों के मनोवैज्ञानिक मुद्दों और स्कूलों के अचानक बंद होने से छात्रों में उनके भविष्य को लेकर पैदा हुई चिंता पर बात की। शिक्षक की नौकरी की सुरक्षा और छंटनी, परिवार का प्रबंधन: पालन-पोषण, बच्चे की देखभाल, होम स्कूलिंग की मांग, वित्तीय चिंताएं और सामाजिक समर्थन का अभाव आदि पर बात की। इसके अलावा, उन्होंने कोविड के प्रभाव पर बात की कि कैसे महामारी ने शिक्षा की पूरी प्रणाली को बदल दिया, कैसे ऑनलाइन शिक्षा बदलाव ने शिक्षकों के बीच खुद को ऑनलाइन शिक्षा के एक नए तरीके से समायोजित करने के लिए तनाव पैदा किया। कैसे शिक्षकों को तकनीकी कौशल सीखना था, नया शिक्षण कार्य और पारिवारिक संघर्ष दोनों का प्रबंधन करना, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर सीधे प्रभाव डाल रहा है।
डॉ. मिट्टू मुथु वर्गीस ने संभावित समाधानों पर एक सत्र लिया, जिसपर शिक्षकों के लिए तनाव प्रबंधन पर जोर दिया जा सकता है। मनोचिकित्सक समाज कार्य के सहायक प्रोफेसर डॉ प्रसाद कन्नेकट्टी ने पूछे गये सवालों के जवाब दिये। कार्यक्रम के आयोजन में गौरव, मयंक सिंह, अलगरसामी, सुश्री आइना कुरियन ने सहयोग किया। इस अवसर पर अनीता इंटरमीडिएट कॉलेज की प्राचार्य कमला कालको, अनीता गर्ल्स हाई स्कूल की प्रिंसिपल निर्मला ज्योति, सेंट जोसेफ हाई स्कूल कांके के प्रचार्य बर्क मानस मौजूद थे।