चतरा (झारखंड)। कभी अफीम की खेती के लिए कुख्यात रहे रहे इलाके में अब फूल की खेती होगी। चतरा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने जिले के गिद्धौर प्रखंड में गेदा फूल का प्रत्यक्षण किया है। प्रत्यक्षण प्रमोद कुमार, शिव कुमार, मालती देवी, मिथिलेश कुमार, शिशुपाल कुमार, अवध दांगी और रामसेवक दांगी किसान के खेतों में किया गया है। केंद्र की ओर से प्रत्यक्षण से संबंधित प्रशिक्षण सह प्रक्षेत्र भ्रमण का आयोजन मंगलवार को किया गया। प्रशिक्षण में गिद्धौर प्रखंड के 55 किसान उपस्थित थे।
कई गुणा अधिक लाभ मिल सकता है
प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिक धर्मा उरांव ने कहा कि गेंदा फूल की खेती पारंपरिक खेती की तुलना में कई गुणा लाभ किसानों को दे सकती है। गेंदा फूल ना सिर्फ कम खर्च में अच्छा लाभ देता है, बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति को बरकरार रखने में भी अहम भूमिका निभाती है। इससे किसानों को गेंदा फूल का दोहरा फायदा मिलता है। गेंदा की खेती कोई भी किसान कर सकती है। अगर किसान हाईब्रिड किस्म के बीजों को लगाता है तो उसे करीब 30 से 35 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च आता है। यदि किसान अपने खेत में गेंदा फूल लगाता है, तो वह साल में तीन बार फूलों की पैदावार ले सकता है। इसके अलावा गेंदा फूल की मांग लोकल मार्केट में होने से किसानों को ज्यादा दौड़ धूप करने की भी जरूरत नही होती।
तीनों सीजन में की जा सकती है खेती
वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ रंजय कुमार सिंह के अनुसार गेंदा फूल की खेती सीजन के हिसाब से की जाती है। गर्मी में जनवरी में फूल लगाए जाते है। इनका नवरात्र के दिनों में पूजा पाठ में खूब इस्तेमाल होता है। बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है। इसके बाद अप्रैल-मई और फिर सर्दी शुरू होने से पहले अगस्त-सितंबर में फूलों की बिजाई की जाती है। विशेषज्ञों की मानें तो गेंदे की जड़ों से एक केमिकल निकलता है, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति का बढ़ाता है। जहां खेतों में उत्पादन कम दिखाई दें, उन किसानों के लिए गेंदा फूल एक अच्छा विकल्प है। सीजन में गेंदा फूल की कीमत 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। अगर किसान आधा एकड़ में भी गेंदे की खेती करता है तो एक सप्ताह में एक क्विंटल से लेकर डेढ़ क्विंटल तक फूल प्राप्त कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें किसान
गेंदा फूल की खेती को किसान ओपन और पॉली हाउस दोनों ही जगहों में ले सकता है। गेंदा फूल कई वेराइटियों में लगाया जा सकता है। इसका अच्छा भाव किसानों को मार्केट में मिल जाता है। खेती फूलों की हो या फिर सब्जियों की किसान ओपन फील्ड में खेती कर रहा हो या फिर पॉली हाउस में। किसी भी क्रॉप को लगाने से पूर्व विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लें। डॉ सिंह ने बताया कि मार्केट में औसतन छोटे आकार के फूलों की मांग होती है, जो आम बीज से प्राप्त किए जा सकते है। फूलों का प्रयोग पूजा पाठ और माला बनाने में किया जाता है। अगर आम किस्म का प्रयोग करता है तो इससे भी कम खर्च आता है। प्लांटेशन के 45 दिन बाद पौधा फूल देने लगता है। प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के मो जुनैद आलम, रूपलाल कुमार भोक्ता, बसंत ठाकुर आदि उपस्थित थे।