समेकित कृषि प्रणाली पर नॉलेज हब विकसित कर रहे हैं बीएयू वैज्ञानिक

कृषि झारखंड
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  • बायोटेक किसान हब अधीन प्रशिक्षण का आयोजन

रांची। झारखंड के बहुतायत किसान छोटे एवं सीमांत जोतदार है। सीमित भूमि और संसाधन में ऐसे किसानों के लिए आजीविका एवं पोषण की सुरक्षा बड़ी समस्या बनी हुई है। वैज्ञानिकों ने छोटे एवं सीमांत किसानों के संसाधन के अनुरूप समेकित कृषि प्रणाली मॉडल विकसित की है। ऐसे किसान अपनी कृषि प्रणाली में फसल उत्पादन के साथ कृषि के अन्य घटकों जैसे बागवानी, पशुपालन, मुर्गीपालन, मत्स्य पालन, बत्त्तक पालन एवं वानिकी आदि अवयवों का समेकित समावेश से वैकल्पिक एवं नियमित आय के साथ पोषण सुरक्षा को सुरक्षित कर सकते है। आज की तेजी से बदलती ग्रामीण और शहरी परिवेश में किसानों की खुशहाली के लिए समेकित कृषि प्रणाली को अपनाना जरूरी हो चला है। उक्त बातें बतौर मुख्य अतिथि बीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ जगरनाथ उरांव ने कही। उन्‍होंने समेकित कृषि प्रणाली पर आयोजित 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का बुधवार को उद्घाटन कि‍या।

मौके पर अपर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एस कर्मकार ने कहा कि विवि के वैज्ञानिक समेकित कृषि प्रणाली पर नॉलेज हब विकसित करने की दिशा में कार्यरत हैं। भावी कृषि व्यवस्था में यह तकनीक सबसे महत्वपूर्ण एवं लाभकारी होगी।

कार्यक्रम के पहले दिन केवीके, चतरा के प्रधान डॉ रंजय कुमार सिंह ने समेकित कृषि प्रणाली, इसके अवयव एवं लाभ। शस्य वैज्ञानिक डॉ सीएस सिंह ने छोटे किसानों के लिए उपयुक्त समेकित कृषि प्रणाली के विभिन्न मॉडल एवं उनका विश्लेषण और मुख्य वैज्ञानिक (शस्य) डॉ एस कर्मकार ने इस प्रणाली में फसल-चक्र और उनका प्रबंधन विषय की जानकारी दी। प्रशिक्षण में रांची जिले के चान्हो प्रखंड कमाती गांव के 35 महिला और 23 पुरूष सहित 58 किसान भाग ले रहे है।

केंद्रीय जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सौजन्य से संचालित बायोटेक किसान हब परियोजना के अधीन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य कृषि में नवाचार कृषि तकनीकी के समावेश से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी एवं पोषण सुरक्षा बढ़ावा देना है। मौके पर सुरेश कुमार महतो, निर्मल कुमार, आरएन ठाकुर, राजेश कुमार सिंह एवं प्रवीण तरुण एक्का आदि मौजूद थे।