खूंटी। सिंचाई सुविधा के अभाव में जिले में हजारों एकड़ जमीन में दशकों से खेती नहीं हो रही है। ऐसी जमीन पर जिला प्रशासन लेमनग्रास की खेती करने के लिए ग्रामीणों को प्रोत्साहित और सहयोग कर रही है। जिला प्रशासन के सहयोग से जिले में काम करने वाली सेवा वेलफेयर सोसाइटी विशेष केंद्रीय सहायता मद से सभी छह प्रखंडों में 200 एकड़ में लेमनग्रास की खेती करा रही है। इसका शुभारंभ मंगलवार को जिले के डीसी शशि रंजन ने खूंटी सदर प्रखंड के मारंगहादा में लेमनग्रास के पांच पौधे लगाकर किया। वहां मौजूद किसानों को उन्होंने मारंगहादा समेत आसपास के गांवों में भी लेमनग्रास की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया। कहा कि किसान जितनी जमीन पर लेमनग्रास लगा सकते हैं, लगाएं, जिला प्रशासन सहयोग करने को तैयार है। इस मौके पर भोंज नाग, बेरनादेत्त टूटी, सांदू मुंडा, फौद नाग, जगाय नाग, गोगा नाग, बिगन कुमारी, बसंती नाग आदि उपस्थित थे।
सात से आठ सौ एकड़ में खेती
डीसी शशि रंजन ने कहा कि जिले के टांड़ जमीन पर इस वर्ष जेएसएलपीएस और सेवा वेलफेयर सोसाइटी के माध्यम से सात से आठ सौ एकड़ में लेमनग्रास की खेती की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके लिए गांवों में लोगों को लेमनग्रास की खेती और उससे होने वाले फायदों की जानकारी देने के बाद यह खेती की जा रही है। इससे बेकार पड़ी जमीन का उपयोग हो रहा है। साथ ही प्रति एकड़ किसान को सलाना 80 हजार से एक लाख रुपये का लाभ भी हो रहा है।
तेल निकालने के लिए आसवन केंद्र
उन्होंने कहा कि मुरहू के सुरूंदा में लेमनग्रास से तेल निकालने के लिए आसवन केंद्र स्थापित किया गया है। यहां लोग लेमनग्रास लेकर आ रहे हैं और तेल लेकर जा रहे हैं। बाजार में तेल 11 से 12 सौ रुपये के भाव से बिक रहा है। इससे किसान खुश हैं।
और आसवन केंद्र लगाये जाएंगे
डीसी ने कहा कि जहां ज्यादा ग्रामीण अधिक जमीन पर लेमनग्रास की खेती करेंगे, वहां तेल निकालने के लिए आसवन केंद्र लगाने का काम जिला प्रशासन करेगी। इसकी खेती, तेल निकालने और बाजार उपलब्ध कराने में किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
बेहतर हो जाएगी आर्थिक स्थिति
डीसी ने कहा कि यह एक सक्सेसफुल मॉडल और ग्रामीणों के लिए सुअवसर है। लेमनग्रास की खेती से यहां के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाएगी। जिससे सामाजिक कुरीतियां भी दूर होगी। गांव खुशहाल होंगे।
अब जमीन खाली नहीं रहेगी
मारंगहादा के किसान भोंज नाग ने कहा कि पहले हम जमीन के लिए लड़े थे। अब जमीन से लडेंगे। गांव में कहीं भी जमीन अब खाली नहीं रहेगी। हर खाली पड़े (मरचा) भूमि पर लेमनग्रास की खेती होगी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष उन्हें लेमनग्रास की खेती से एक लाख रुपये का मुनाफा हुआ। इसे देखकर अब अगल-बगल के गांव के लोग भी खेती करने की इच्छा जता रहे हैं।
मेहनत रंग ला रहा है : देवा
सेवा वेलफेयर सोसाईटी वर्ष 2018 से लेमनग्रास की खेती के क्षेत्र में काम कर रही है। जिला प्रशासन का भरपूर सहयोग मिल रहा है। पिछले वर्ष हमलोगों ने सफलता पूर्वक 70 एकड़ में लेमनग्रास जिला प्रशासन के सहयोग से लगाया था, जिससे अब तेल निकालने का काम किया जा रहा है। इस वर्ष दो महीने में 200 एकड़ में लेमनग्रास लगाने का लक्ष्य है। इस कार्य की प्रशंसा पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख भी कर चुके हैं।