- अवैध मानव व्यापार में शामिल पर कठोर कानूनी कार्रवाई करें
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में टीएसी की दूसरी बैठक
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की दूसरी बैठक 27 सितंबर को हुई। इसमें कई मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। मौके पर अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री-सह-उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन भी उपस्थित थे। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि टीएसी राज्य के जनजातीय समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए महत्वपूर्ण इकाई है। टीएसी जनजातीय वर्गों के सभी महत्वपूर्ण विषय जैसे आर्थिक, सामाजिक शैक्षणिक एवं समुदाय से जुड़े अन्य विकास के मुद्दों पर चर्चा करती है। जनजातीय समुदाय का उत्थान और विकास अधिक से अधिक कैसे हो, इस पर टीएससी कड़ियों को जोड़ने का कार्य कर रही है। जनजातीय समुदायों के बेहतरी के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।
बैठक में समिति ने झारखंड में जनजातीय समुदाय के लोगों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार से संविधान की अनुसूची 05 के आदिवासी राज्यों को देश के उत्तर पूर्व के राज्य जो संविधान के अनुसूची 6 के अंतर्गत आते हैं, के समान उद्योग लगाने एवं करों आदि में दी जाने वाली सुविधाओं के अनुरूप सुविधा दिए जाने की अनुशंसा की।
बैठक में विधायक प्रो स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में एक उप समिति का गठन किया गया। इस उप समिति में विधायक दीपक विरूवा, बंधु तिर्की, भूषण तिर्की एवं चमरा लिंडा सदस्य होंगे। यह उप समिति अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को कृषि ऋण, गृह ऋण तथा शिक्षा ऋण सहित अन्य ऋण बैंकों के माध्यम से सुलभ तरीके से उपलब्ध कराने, विभिन्न बैंकों के साथ विचार विमर्श कर ऋण उपलब्ध कराने के लिए नियमों में सुधार और राज्य में अनुसूचित जनजाति धारित पूर्व एवं वर्तमान भूमि अधिग्रहण का गहन अध्ययन कर टीएसी को रिपोर्ट सौपेंगी। इस संबंध में उप समिति टीएसी को परामर्श भी देगी।
यह निर्णय लिया गया कि टीएससी जल्द ही सरना कोड दिए जाने की पहलुओं पर एक प्रस्ताव तैयार कर राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजेगी। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में टीएससी का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेगा।
इस बात पर भी सहमति बनी कि वीर-शहीदों और झारखंड आंदोलन के शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार एवं स्कूलों के पाठ्यक्रमों में भी शामिल करने के संबंध में विचार कर कार्य योजना तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अवैध मानव व्यापार पर रोक लगाने के लिए गृह विभाग को कठोर कानून बनाने और निरंतर मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया। टीएसी के सभी सदस्यों ने मानव व्यापार को लेकर चिंता जाहिर की। दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई किए जाने पर बल दिया।
बैठक में बताया गया कि अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के खिलाफ होने वाले अत्याचार के संबंध में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति के माध्यम से सभी प्रकार के अत्याचार एवं शोषण से संबंधित मामलों की समीक्षा कर कार्रवाई के लिए अनुशंसा की जाती है।
जनजातीय भाषा-संस्कृति-ज्ञान आदि को सहेजने एवं विकसित करने एवं जनजातीय समुदाय के विकास के लिए शोध करने के उद्देश्य से राज्य में एक ट्राईबल यूनिवर्सिटी जमशेदपुर में स्थापित की जा रही है। जल्द ही एक्ट बनाकर यूनिवर्सिटी का संचालन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में जनजातीय समुदाय के लोगों को अधिक से अधिक जाति प्रमाण पत्र निर्गत हो, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। जनजातीय समुदाय के लोगों को जीवन काल में एक ही बार जाति प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी। अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने में हो रही दिक्कतों को देखते हुए जीवन में एक बार जाति प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने का निर्णय लिया गया। इससे लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाने में सहूलियत होगी।
बैठक में झारखंड गठन के समय में सरना, मसना, कब्रिस्तान आदि जो स्थित थे, यदि उनके अभिलेख उक्त रूप में नहीं भी हों तो ग्राम सभा और अंचल कार्यालय से उसकी संपुष्टि कराते हुए हुए उनकी घेराबंदी कराए जाने की अनुशंसा समिति ने की।
बैठक में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
जाति प्रमाण पत्र बनाने में जनजातीय समुदायों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कार्मिक विभाग इस संबंध में अधिसूचना निर्गत करने पर विचार करे, जिससे कि जीवन काल में एक बार जनजातीय समुदायों के लोगों को जाति प्रमाण पत्र बनाना पड़े। इसे जीवन भर उपयोग में लाया जा सके।
जनजातीय समाज के लोगों को बैंकों से ऋण लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जनजातीय समाज के लोगों के लिए व्यवस्था ऐसी करनी चाहिए जिससे कि वित्तीय संस्थान उन्हें ऋण देने से मना नहीं करें। वित्त विभाग सभी बैंको से इस संबंध में विस्तृत चर्चा कर सुधार लाने की कार्रवाई करे।
जनजातियों के भूमि के अवैध हस्तांतरण पर रोक लगना चाहिए।
सरना धर्म कोड को मान्यता दिलवाने को लेकर आगे की कार्रवाई एवं रणनीति पर विचार-विमर्श।
विभिन्न औद्योगिक प्रतिष्ठानों के द्वारा जनजातियों के जमीन अधिग्रहण एवं उनके विस्थापन पर एक शोध की आवश्यकता है। शोध के साथ-साथ एक सशक्त पुनर्स्थापन नीति बनाई जाए। इस संबंध में पुनर्स्थापन आयोग का गठन किया जाए।
अवैध मानव व्यापार को रोकने हेतु ठोस कदम उठाने की जरूरत है। आदिवासी महिला/लड़कियों के अवैध व्यापार एवं शोषण के विषय पर कठोर कार्रवाई की जरूरत है।
अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों के खिलाफ होने वाले अपराध का विशेष पुनरीक्षण की आवश्यकता है। ऐसी परिस्थिति में उन्हें मिलने वाले लाभ/सहायता के विषय में कल्याण एवं गृह विभाग अगली बैठक में विस्तृत रिपोर्ट समर्पित करेगा।
जनजातीय समुदाय के लोगों के बीच उद्यमियों का घोर अभाव है। ऐसी स्थिति में अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवकों/युवतियों के द्वारा अपना उद्यम प्रारम्भ कराने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजना की जरूरत है। इस समुदाय के उद्यमियों को विभिन्न शुल्क यथा CGST/IGST/Income Tax आदि में छूट देने के लिए प्रस्ताव भारत सरकार को भेजना चाहिए।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में जनजातीय परामर्शदातृ परिषद में सदस्य-सह-विधायक प्रो स्टीफन मरांडी, बंधु तिर्की, श्रीमती सीता सोरेन, दीपक बिरुआ, चमरा लिंडा, सुखराम उरांव, दशरथ गगराई, नमन विक्सल कोंगाड़ी, राजेश कच्छप, भूषण तिर्की, सोनाराम सिंकू अनुसूचित जाति से मनोनीत विश्वनाथ सिंह सरदार और अनुसूचित जनजाति से मनोनीत जमल मुंडा सहित राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल, अपर मुख्य सचिव एल खियांगते, प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव श्रीमती वंदना दादेल, प्रधान सचिव अविनाश कुमार, प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, प्रधान सचिव राजेश शर्मा, सचिव केके सोन, सचिव अमिताभ कौशल, सचिव श्रीमती आराधना पटनायक, सचिव राहुल शर्मा एवं संबंधित विभाग के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।