पालमू। बच्चों को स्कूल गए डेढ़ साल से भी अधिक हो गए हैं। कोरोना काल में बच्चों की जिंदगी ऑनलाइन हो गई है। इस व्यवस्था से बच्चों को कितना फायदा हुआ, इसका आकलन होना अभी बाकी है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान बच्चों में आपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ी हैं।
पलामू रेंज में पिछले डेढ़ वर्ष में विभिन्न गंभीर अपराध के मामले में 150 से अधिक लोग जेल गए हैं। इसमें करीब 40 मामले 15 से 18 वर्ष के बीच के हैं। आधा दर्जन के करीब 10 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चे जेल गए हैं। पलामू में पिछले डेढ़ वर्षों में कई ऐसे उदाहरण निकल कर सामने आए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बच्चों के अपराधीकरण में मोबाइल गेम ने अहम भूमिका निभाई है। पबजी जैसे गेम खेलने वाले बच्चों ने हत्याकांड को अंजाम दिया है। कई बच्चे स्कूल बंद रहने के कारण आपराधिक गतिविधियों में शामिल हुए हैं। बच्चे नशा करने और जुआ खेलने के भी आदि हुए हैं।
पलामू जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार कहते हैं कि यह काफी गंभीर मामला है। अगर बच्चे अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं, तो इसके लिए पहल करने की जरूरत है। ऐसे बच्चों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर कुंड मोहल्ले में दंपती हत्याकांड को अंजाम देने वाला आरोपी पबजी जैसे गेम खेलने का आदि था। वहीं पलामू के विश्रामपुर पुलिस अनुमंडल क्षेत्र में एक कम उम्र के बच्चे ने अपनी बहन की प्रेमी की मोबाइल गेम की तरह ही हत्या कर दी। वह कई दिनों से प्रेमी की हत्या करना चाहता था। मोबाइल में गेम खेलने के दौरान उसे आइडिया मिला कि हत्या कैसे करनी है। इसी तरह नेतरहाट के चार नौनिहालों ने स्कूल में चोरी की घटना को अंजाम दिया था। सभी मासूम 10 से 12 वर्ष के बीच के थे। उन्हें रिमांड होम में रखा गया है।
बच्चों और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता इंदु भगत बताती हैं कि लॉकडाउन में परिवार पर आर्थिक दबाव बढ़ा है, जिस कारण अभिभावकों ने बच्चों पर कम ध्यान दिया। अभिभावक संघ के केंद्रीय अध्यक्ष सह सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता किशोर पांडेय बताते हैं कि यह चिंतनीय विषय है। इस पर सभी को ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे अपराध की तरफ बढ़ रहे हैं।
एसपी चंदन कुमार सिन्हा का कहना है कि कभी-कभी देखा गया है कि बच्चे 16 घंटे तक मोबाइल चलाते हैं। बच्चों को बाहर निकलना चाहिए और आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए। एसपी ने कहा कि बच्चों को अच्छे कार्य में लगाने के लिए अभिभावक सलाह दें। साथ ही उन्हें अधिक समय दें।