रांची। भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोलियम पदार्थों के प्रतिदिन कीमत निर्धारण पद्धति खत्म करे। पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाये। वे आशा, आशा सहिया, सहिया साथी कर्मचारी संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में भाग लेने रांची आये थे। रांची के धुर्वा स्थित संगठन कार्यालय में प्रेस से बात कर रहे थे। मौके पर बीएमएस के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सिंह और प्रदेश महामंत्री बृज बिहारी शर्मा भी मौजूद थे।
कीमतों में बढ़ोतरी लोग बुरी तरह प्रभावित
राष्ट्रीय महामंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के फैलने के बाद औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट, आर्थिक कार्यकलापों के क्षरण और बढ़ती बेरोजगारी और वेतन कटौती एवं अब आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी सामान्य जन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। उपभोक्ता मंहगाई आम जनता के साथ-साथ श्रमिक और कर्मचारियों को विशेष तौर पर प्रभावित कर रही है। विगत 18 माह से महंगाई दर 6 प्रतिशत की सीमा पार कर चुकी है, जबकि पिछले 5 वर्षो मे महंगाई दर 3 से 5 प्रतिशत के बीच रही।
श्रमिक और कर्मचारियों का जीवन कठिन
सिन्हा ने कहा कि खाद्य पदार्थ और दवाइयों के मूल्यों मे तीव्र वृद्धि ने जनता एवं श्रमिक और कर्मचारियों का जीवन कठिन बना दिया है। अंतर्राष्ट्रीय मूल्यों में बढ़ोतरी के नाम पर देश में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ाई जा रही है। सरकार को ये अनचाही आयातित महंगाई पर नियंत्रण करना चाहिए। कंपनियां उपभोक्ताओं को लूटने के लिए कालाबाजारी करके मौके का अनुचित फायदा उठा रही है। केंद्र सरकार द्वारा अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम में से खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज और आलू को मुक्त कर दिया गया। सरकार की भावना किसानों की मदद के लिए हो सकती है। हालांकि इसका लाभ सटोरिये और कालाबाजारियों ने उठाया। बाजार में इसकी कृत्रिम कमी करके उन्होंने इनके मूल्यों में अत्याधिक वृद्धि भी की है।
कीमतों में कृत्रिम बढ़ोतरी का प्रयास
कंपनियां आपस मे सांठगांठ करके कीमतों में कृत्रिम बढ़ोतरी करके लाभ कमाने का प्रयास कर रही है, जिसे रोका जाना आवश्यक है। धातुओं व अन्य आयातित वस्तुओं की बढ़ती हुई कीमते लंबे समय तक चलने वाली उपभोक्ता वस्तुओं, रसायन, वस्त्र उद्योग सहित देश के सभी उद्योगों में समस्याएं खड़ी कर रही है। उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत उत्पादन लागत से एक अनुपात में होनी चाहिए। यह उपभोक्ताओ के संज्ञान में लायेगा कि उत्पादनकर्ता द्वारा कितना लाभ कमाया जा रहा है।
न्यूनतम मजदूरी का भुगतान हो
प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण सिंह ने कहा कि झारखंड सहित देशभर में कार्यरत आशा सहिया, सहिया साथी, बीटीटी को न्यूनतम मजदूरी तक नहीं दी जा रही है। किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा नहीं है। यही स्थिति आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका की है। श्रम कानून का उल्लंघन किया जा रहा है। कोरोना काल में इन्होंने सराहनीय काम किया है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार सकारात्मक सोच रखते हुए फिलहाल उन्हें न्यूनतम मजदूरी दे। उसके बाद उन्हें नियमित करें। उन्होंने पत्रकारों की सुरक्षा गारंटी और सामाजिक सुरक्षा दिये जाने की मांग भी की।
संघ की केंद्र और राज्य सरकार से मांग
उत्पादनकर्ता द्वारा प्रत्येक वस्तु की लागत मूल्य की घोषणा को अनिवार्य करने का कानून बनाकर लागू किया जाय।
आवश्यक वस्तु और पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी पर नियंत्रण रख जाए।
पेट्रोलियम पदार्थों के प्रतिदिन कीमत निर्धारण पद्धति खत्म हो। पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाय।
किसानों को पारिश्रमिक भुगतान द्वारा खाद्य पदार्थों के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कदम उठाया जाए।
खाद्य तेल, दाल एवं अन्य खाद्य पदार्थों के संदर्भ में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खाद्य पदार्थों के मूल्यों पर नियन्त्रण आवश्यक है। इसके लिए लंबी अवधि की योजना बनाई जाए।
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र दोनों के श्रमिक एवं कर्मचारियों के वेतन बढ़ाकर महंगाई की क्षतिपूर्ति के लिए कदम उठाया जाए। अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3(1) में की गई छूट को तुरंत वापस लिया जाय।