भागलपुर। जीवन जागृति सोसाइटी के तत्वावधान में डॉ अजय द्वारा बनाये गये वाटर हेलमेट का भागलपुर के सबौर के एनएच-80 के पास परीक्षण किया गया। परीक्षण करने के लिए 15 लोगों के सिर में वाटर हेलमेट बांधा गया। इस दौरान देखा गया कि सभी लोग बिना तैरे कई मिनटों तक पानी की सतह पर आराम से रहे।
वाटर हेलमेट के काम करने का तरीका बहुत सरल है। वाटर हेलमेट को एक बेल्ट के बॉक्स में अच्छी तरह से डाल दिया गया है और स्कूल बैग की तरह शरीर में लॉक सिस्टम से बांध दिया गया, ताकि लोगों के दोनों हाथ अन्य कामों जैसे सामान उठाने के लिए खुले रहें। इसकी लागत मात्र 150 रुपये के लगभग आयेगी। डॉक्टर अजय सिंह का कहना है कि जब कोई नदी में हादसे का शिकार हो जाता है, तो सरकार हर साल करोड़ों रुपये अनुदान में उनके परिवार को देती है।
अगर उसी अनुदान की राशि से ऐसे वाटर हेलमेट को बनाकर नाव में दे दिया जाए, तो चीजें बदल सकती हैं। उन्होंने सरकार से गुजारिश की है कि संबंधित अधिकारी खुद इसका परीक्षण करें और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं। साथ ही इस वाटर हेलमेट को हेलमेट की तरह नाव में चढ़ने से पहले पहनना अनिवार्य कर दिया जाए, ताकि सैकड़ों की जानें बच सकें।