लातेहार। यह शर्मनाक घटना है। आवेदन देने के 10 माह बाद भी उसे स्वास्थ्य विभाग ने टीवी मरीज को पूरी आर्थिक सहायता नहीं दी। अंतत: उसकी मौत हो गई। अब जांच चल रही है। डीसी और सीएस के आदेश पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने मामले की जांच की।
यह वाक्या झारखंड के लातेहार जिले की चंदवा प्रखंड की ग्राम कामता के टोला परसाही का है। यहां की निवासी गुड़िया परवीन टीबी से ग्रस्त थी। आवेदन देने के 10 माह के बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसे पूरी आर्थिक सहायता नहीं दी गयी। वह पैसे के लिए दर्जनों बार बैंक गई। हर बार निराश होकर लौटी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर भेजी गई राशि को स्वास्थ्य विभाग टीबी मरीजों को उनके बैंक खाते में भेजता है, ताकि बीमारी से लड़ने के लिए उन्हें पौष्टिक आहार मिल सके।
चंदवा सीएचसी में गुड़िया के टीबी रोग होने की पुष्टि होने के करीब पांचवें दिन उसके पिता रमजान सांई चिस्ती से आवश्यक दस्तावेज आर्थिक सहायता भेजने के लिए ली गई। दस माह के बाद भी उसके खाते में पूरी राशि नहीं आई। आर्थिक सहायता की आस लिए गुड़िया परवीन की सांस बीते मंगलवार को टूट गयी। सीएम हेमंत सोरेन सरकार और उपायुक्त अबु इमरान द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं पर नजर रखे जाने के बाद भी टीबी मरीज लापरवाही बरती गई।
चंदवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में करीब छह माह पूर्व से गुड़िया परवीन का टीबी का इलाज चल रहा था। बीमारी पूरी तरह ठीक भी नहीं हुई थी कि दवा और इलाज बंद कर दिया गया। दवा बंद हुए दो माह भी नहीं हुए कि गुड़िया को टीबी ने पुनः जकड़ लिया। इससे उसकी स्थिति बिगड़ गई। सांस लेने में दिक्कत होने पर उसे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया, जहां ऑक्सीजन सपोर्ट मे रखा गया। हालत सुधार होने पर उसे घर लाया गया। पुनः उसका बलगम (खखार) जिला स्वास्थ्य विभाग को भेजा गया। जांच के बाद उसे टीबी रोग होने की पुष्टि हुई। इसके बाद उसे टीबी की दवा दी जाने लगी। हालत बिगड़ने पर गुड़िया को अस्पताल लाया गया, जहां उसकी मौत हो गई।
समाजसेवी अयुब खान ने कहा कि रोग खत्म भी नहीं हुआ और इलाज बंद कर दिया गया। इससे उसका मर्ज और बढ़ गया। इसके इलाज में लापरवाही बरती गई। रोग खत्म होने तक इलाज जारी रहता तो गुड़िया की जान बच सकती थी। इलाज में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। डीसी और सीएस के आदेश पर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी शोभना ने चंदवा सीएचसी पहुंचकर मामले की जांच की।