स्वांग गोविंदपुर परियोजना के ओबी से संकट में कोयलांचल की ‘लाइफ लाइन’

झारखंड
Spread the love

प्रशांत अंबष्ठ

गोमिया (बोकारो)। बेरमो कोयलांचल की ‘लाइफ लाइन’ कहे जाने वाली कोनार नदी सिमटती जा रही है। इसका अतिक्रमण सीसीएल प्रबंधन लगातार कर रहा है। इसके कारण नदी अपने मूलस्वरूप से बदलती जा रही है। यही वजह है कि आज हल्की बारिश में भी नदी के आसपास रहने वाले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

गोविंदपुर स्वांग ओपन कास्ट से निकलने वाले ओवरबर्डन को कोनार नदी में डालने का काम सीसीएल द्वारा किया जा रहा है। नतीजतन नदी नाले के रूप में तब्दील होती जा रही है। जिस कोनार नदी के विकराल और विशाल स्वरुप को देखकर कभी लोग आनंदित होते थे, आज चिंति‍त हो रहे हैं। इस नदी की जलधारा कभी अविरल पानी के लिए जानी जाती था। आज इसमें सिर्फ गंदगी नजर आती है। सीसीएल और डीवीसी का सीवरेज पूरी तरह से कोनार नदी में सीधे गिराया जा रहा है।

ये भी पढे : कोल इंडिया के नये निदेशक तकनीकी होंगे बी वीरा रेड्डी

वर्ष 1989 से यहां ओपन कास्ट की शुरुआत की गई। इसके बाद यहां से ओवरबोर्डन के रूप मे निकलने वाली मिट्टी-पत्थर को प्रबंध अपनी सुविधा से नदी के किनारे और नदी में डालने लगा। इसकी वजह से धीरे-धीरे नदी अपने स्वरूप को बदलती गई। लगभग 01 किलोमीटर तक कोनार नदी के दोनों ओर ओवरबर्डन डाला गया है। लहरिया टांड, गंझूडीह गैरमजरूआ, स्वांग करमटिया आदि कोनार नदी की सहायक छोटी-छोटी नदी का अस्तित्व आज खत्म होने को है। इससे निकटवर्ती गांव को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

इस संबंध में दामोदर बचाओ अभियान के गुलाब चंद्र प्रजापति, पूर्व मुखिया विनोद कुमार पासवान, निवर्तमान मुखिया चंद्रदीप पासवान ने कहा है कि इस नदी से सैकड़ों गांव और हजारों लोगों की प्यास बुझती है। स्वांतग गोविंदपुर परियोजना के अधिकारियों की मनमानी और नीति के कारण क्षेत्र के लोगों के लिए जीवन रक्षक बेरमो कोयलांचल की लाइफ लाइन कोनार नदी का अस्तित्व संकट में है।