चिकित्सा-शिक्षा का हब बनने की राह पर गोरखपुर

उत्तर प्रदेश देश शिक्षा
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  • सूबे के पहले आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास 28 को राष्ट्रपति के हाथों

उत्तर प्रदेश। गोरखपुर चिकित्सा-शिक्षा का हब बनने राह पर है। इस सिलसिले को मजबूत करने में 28 अगस्त को प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय की नींव रखी जाएगी। गोरक्षपीठ की तरफ से स्थापित निजी विश्वविद्यालय ‘शिक्षार्थ आइए, सेवार्थ जाइए’ की भावना से जनता को समर्पित किया जाएगा। दोनों ही विश्वविद्यालय विश्व विख्यात नाथपंथ के अधिष्ठाता महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम से हैं।

शैक्षिक उपलब्धियों की बानगी चार विश्वविद्यालय

इन दोनों ही विश्वविद्यालयों की सौगात सीएम योगी की तरफ से दी जा रही है। इसके साथ ही गोरखपुर की शैक्षिक उपलब्धियों की बानगी चार विश्वविद्यालयों के जरिये देखी जा सकेगी। बनने जा रहे महायोगी गुरु गोरक्षनाथ उत्तर प्रदेश राज्य आयुष विश्वविद्यालय और गोरक्षपीठ की तरफ से बन चुके महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के पहले से गोरखपुर में पंडित दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय तथा मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत स्तम्भ बने हुए हैं। आयुष विश्वविद्यालय के जरिये प्राचीन व पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का और विकास संभव होगा तो वहीं महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के विभिन्न आयामों के साथ ही चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सा का बड़ा केंद्र बनने जा रहा है। इसके अलावा योगी के ही प्रयासों से गोरखपुर में एम्स भी बनकर तैयार है। चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर बनने जा रहे इस संस्थान में एमबीबीएस की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है।

आयुष विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे आयुष कॉलेज

गोरखपुर के भटहट ब्लॉक के पिपरी व तरकुलही में 52 एकड़ भूमि पर बनने जा रहे राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय में एक ही परिसर में आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी और योग चिकित्सा की पढ़ाई और उस पर शोध कार्य होगा। इन विधाओं से यहां चिकित्सा भी सुलभ होगी। योग सहित प्राकृतिक व परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को प्रोत्साहित करने में लगी योगी सरकार का यह बड़ा कदम है। क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी डॉ प्रकाश चंद्र के मुताबिक प्रदेश के आयुष विधा के सभी 94 कॉलेज इस विश्वविद्यालय से संबद्ध होंगे। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद के 67 कॉलेज (8 सरकारी व 58 निजी), यूनानी के 15 कॉलेज (2 सरकारी व 13 निजी) तथा होम्योपैथी के 12 कॉलेज (9 सरकारी व 3 निजी) अलग अलग विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं। इसके चलते इन आयुष कॉलेजों के डिग्री/डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में कुछ भिन्नता रहती है। आयुष विश्वविद्यालय से संबद्ध होने से सभी कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में एकरूपता रहेगी और सत्र नियमन भी संभव होगा। सीएम योगी आयुष विश्वविद्यालय में आयुष कॉलेजों की संबद्धता एवं अन्य प्रशासनिक कार्य सत्र 2021-22 से एवं विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य सत्र 2022-23 से प्रारंभ करने के निर्देश पहले ही दे चुके हैं। गोरखपुर में इस विश्वविद्यालय के खुलने से पूर्वांचल की छह करोड़ से अधिक जनता को चिकित्सा का एक और बेहतर विकल्प मिलेगा।

औषधीय पौधों की खेती को भी बढ़ावा देगा

आयुष विद्यालय के निर्माण से किसानों को भी काफी फायदा होगा। विश्वविद्यालय की निगरानी में वह औषधीय खेती के लिए प्रेरित होंगे। विश्वविद्यालय परिसर में भी अलग से औषधीय पादप उद्यान विकसित किया जाएगा। यहां आयुष इंस्टिट्यूट व रिसर्च सेंटर भी होगा।

मार्च 2023 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य

आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य मार्च 2023 तक पूर्ण करने का लक्ष्य तय है। विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए 299.87 करोड़ रुपये की प्रारंभिक डीपीआर कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने बनाई है। इस बीच योगी सरकार ने आयुष विश्वविद्यालय की बाउंड्री वाल के लिए 2.4 करोड़ अवमुक्त कर दिए हैं। शिलान्यास के तत्काल बाद इस विश्वविद्यालय के निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। परिसर में एकेडमिक भवन, प्रशासनिक भवन, आवासीय भवन, छात्रावास, गेस्ट हाउस के अलावा आडिटोरियम और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक भी होगा। अनुमान है कि आयुष विश्वविद्यालय के संपूर्ण प्रोजेक्ट पर तकरीबन एक हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण करेंगे

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने के बाद 28 अगस्त को गोरक्षपीठ द्वारा संचालित गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण करेंगे। गोरखपुर में मानीराम-बालापार रोड पर सोनबरसा में बने इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति मुख्यमंत्री एवं गोराखपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हैं। सीएम योगी के निर्देश पर इस विश्वविद्यालय को कला, वाणिज्य, विज्ञान, कृषि, प्रौद्योगिकी की उच्च व रोजगारपरक शिक्षा के मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है। साथ ही यह विश्वविद्यालय मेडिकल, नर्सिंग व पैरा मेडिकल एजुकेशन का पूरे प्रदेश में बड़ा केंद्र बनने को बिल्कुल तैयार है। इस विश्वविद्यालय से संबद्ध गुरु गोरखनाथ इंस्‍टीच्‍यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस को भारतीय चिकित्‍सा पद्धति राष्‍ट्रीय आयोग से मान्‍यता मिल गई है और इंस्‍टीच्‍यूट में इसी सत्र से 100 सीटों पर बीएएमएस की पढ़ाई शुरू हो जाएगी।

इसके अलावा बीएससी व एमएससी नर्सिंग, पोस्ट बेसिक बीएससी नर्सिंग, एएनएम, जीएनएम में प्रवेश की प्रक्रिया प्रारम्‍भ कर दी गई है। इसी सत्र से डिप्‍लोमा इन लैब टेक्निशियन, डिप्‍लोमा इन ऑप्‍टोमेट्री, डिप्‍लोमा इन आर्थोपेडिक एंड प्‍लास्‍टर टेक्निशियन, डिप्‍लोमा इन इमरजेंसी एंड ट्रामा केयर टेक्निशियन, डिप्‍लोमा इन डायलिसिस टेक्निशियन और डिप्‍लोमा इन एनेस्थिसिया एंड क्रिटिकल केयर टेक्निशियन की भी प्रवेश प्रक्रिया प्रारम्‍भ होने जा रही है। आने वाले समय मे विश्‍वविद्यालय में एमबीबीएस, बी फार्मा, डी फार्मा, पैरामेडिकल कोर्सेस, बीएससी यौगिक, बीएससी आईटी सहित विभिन्‍न क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्‍साहित करने वाले दर्जनों पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होगी।