निश्चित समय सीमा में शिक्षकों को प्रोन्‍नति दिये जाने का सुझाव दिया शैक्षिक महासंघ ने

झारखंड
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रांची। लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से राज्य के सभी कोटि के शिक्षकों की प्रोन्नति लंबित है। इसके कारण झारखंड के लगभग सभी मध्य विद्यालय, उत्क्रमित मध्य विद्यालय, उत्क्रमित उच्च विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक विहीन हो चुके हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर पड़ी है। इस गंभीर समस्या के निराकरण के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव राजेश कुमार शर्मा ने सभी शिक्षक संगठन के प्रतिनिधियों से प्रोजेक्ट बिल्डिंग के सभागार में 18 अगस्‍त को चर्चा की।

उक्‍त बैठक में राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ झारखंड प्रदेश का प्रतिनिधित्व प्रांतीय सह संयोजक विजय बहादुर सिंह ने किया। इस दौरान कुछ जिले की शिक्षा एवं शिक्षक हितों की अनदेखी की बात भी उन्‍होंने सचिव के समक्ष रखी।

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इन बिंदुओं पर भी ध्‍यान आकृष्‍ट कराया

राज्य के सभी शिक्षकों के सभी ग्रेडों (1 से 8) की प्रोन्नति का कार्य निश्चित समय सीमा में पूर्ण करने की दिशा में कार्य आरंभ किया जाए। इस कार्य में विभाग द्वारा अनावश्यक रूप से विलंब करने वाले अधिकारियों को चिन्हित करते हुए प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

प्रोन्नति में यदि कोई नियम बाधक है तो उसे शिथिल किया जाना राज्य हित में होगा।

विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेवारी आपसी वरीयता को ध्यान में रख कर दिया जाना श्रेयस्कर होगा।

राज्य के सामान्य कर्मचारियों के समान शिक्षकों को भी 10, 20 एवं 30 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर एमएसीपी का लाभ दिया जाना चाहिए।

सभी जिलों में अनुकंपा पर नियुक्त शिक्षकों को विभागीय संकल्प (संख्या 1145) के अनुरूप नियुक्ति तिथि से ग्रेड-1 निर्धारित करते हुए अन्य ग्रेडों में प्रोन्नति देना सुनिश्चित की जाए।

उत्क्रमित अथवा उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक की सीधी नियुक्ति में राज्य के उच्च योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षकों को भी आवेदन देने का मौका दिया जाना चाहिए।