रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह 18 जुलाई को खेत में उतरे। किसानों के साथ उन्होंने धान के बिचड़े की रोपाई की। वे रांची जिले के कांके प्रखंड के पिठोरिया के निकट जमुआरी गांव में स्थानीय किसान महमूद आलम के खेत पहुंचे। वहां करीब एक एकड़ में महिला किसानों के साथ मिलकर धान के बिचड़े की रोपाई की। मौके पर कुलपति ने महिला किसानों का मनोबल बढाया। उन्हें अधिकाधिक धान आच्छादन के लिए प्रेरित किया।
कुलपति ने बताया कि झारखंड का धान प्रमुख फसल है। प्रदेश की बहुतायत खेतों में धान की खेती की जाती है। यहां की ऊंची, मध्यम एवं निचली भूमि के साथ उबड़-खाबड़ है। प्रदेश के किसान काफी मेहनती एवं जागरूक हैं। हालांकि अधिकतर खेत की जोत मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा काफी छोटी है। किसानों के भोजन का मुख्य स्रोत चावल है। उन्हें अधिक मात्रा में धान उपज की जरूरत होती है। यहीं वजह है कि अधिक उपज की चाहत में बहुतायत किसान संकर धान किस्मों की खेती पसंद करते हैं।
डॉ सिंह देश के जाने-माने धान विशेषज्ञ हैं। उन्होंने 25 से अधिक धान के उन्नत किस्में विकसित की हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय धान के बिचड़े की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त है। समय से रोपाई में फसल बढ़िया से पकता है। उपज भी अच्छी मिलती है। धान कटाई के बाद रबी फसलों की भी खेती आसान हो जाती है।
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की पहल पर प्रदेश के किसानों को अनुदानित दर पर उन्नत बीज उपलब्ध कराया जा चुका है। अब हमारे किसान भाई को खेत में अविलम्ब धान की रोपाई कार्य पूरी कर लेने की आवश्यकता है। प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यरत केवीके वैज्ञानिकों को ससमय रोपाई और उन्नत तकनीकी प्रसार एवं मार्गदर्शन देने को कहा गया है। कृषि वैज्ञानिक भी इस दिशा में निरंतर तत्पर है।
बताते चले कि जमुआरी गांव के किसान महमूद आलम को राष्ट्रीय बीज निगम प्रदत्त संकर धान किस्म डीआरआरएच-2 को कृषि विभाग द्वारा बीज विनिमय योजना के तहत 60 प्रतिशत अनुदानित दर पर करीब एक माह पहले मिली थी। बिचड़ा तैयार होने पर कुलपति ने कांके प्रखंड के बीटीएम प्रदीप सरकार के साथ धान रोपाई कार्य में भाग लिया। बीटीएम प्रदीप सरकार ने बताया कि गांव के करीब 12 एकड़ खेत में डीआरआरएच-2 की रोपाई कार्य होगा।