राजभवन तक पहुंची सरयू की शिकायत, मंत्री रहते वि‍त्तीय अनियमितता का आरोप

झारखंड
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  • किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी, सीबीआई या निगरानी से मामले की जांच कराने की मांग

रांची। खाद्य आपूर्ति मंत्री रहते सरयू राय और उनके कुछ निकटस्थ लोगों ने आहार पत्रिका के प्रकाशन एवं आउटबाउंडलंग के नाम पर बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता की है इसकी उच्चस्‍तरीय जांच होनी चाहिए। जमशेदपुर भाजपा के कार्यकर्ताओं के शिष्‍टमंडल ने राज्यपाल श्रीमती दौपदी मुर्मू से यह अनुरोध किया गया है। किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी, सीबीआई या निगरानी से मामले की जांच कराने और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। इससे संबंधित मांग पत्र भी राज्‍यपाल को सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि सरयू राय ने मंत्री पद का दुरुपयोग करते हुए कई अन्य वितीय गडबड़ि‍यां भी की है। यहअब सामने आ रहा है। भाजपा आनेवाले समय में सबूत के साथ मामले को राज्य की जनता के सामने लाएगी। जमशेदपुर महानगर भाजपा का प्रतिनिधिमंडल महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव के नेतृत्व में राज्यपाल से मिला। प्रतिनिधिमंडल मे पूर्व जिला अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष रामबाबू तिवारी, जिला महामंत्री राकेश सिंह, जिला कार्यालय मंत्री वोल्टु सरकार भी शामिल थे।

ज्ञापन में हुआ है इसका उल्‍लेख

मंत्री पद पर रहते सरयू राय ने अपने विभागीय पत्रिका आहार के प्रकाशन के लिए मनोनयन के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स का चयन कराया। झारखंड सरकार की वित्तीय एवं कार्यपालिका नियमावली कहती हैं कि 15 लाख से अधिक की राशि से होनेवाले कार्य के लिए निविदा जरूरी है। इसके बाजवूद राय ने मंत्री रहते मनोनयन पर झारखंड प्रिंटर्स को काम दिलवाया।

मनोनयन पर काम देने के लिए वित्तीय नियमावली के नियम 235 को शिथिल करने के लिए नियम 245 का सहारा लेना पड़ता है। साथ ही वित्त विभाग और कैबिनेट की सहमति जरूरी होती है। राय ने ना तो वित्त विभाग से सहमति ली नर कैबिनेट से। अपने स्तर से ही झारखंड प्रिंटर्स को काम देने का निर्णय ले लिया।

जनसंपर्क विभाग राज्य सरकार के हर विभाग के प्रचार प्रसार का काम करता है। हालांकि राय ने मंत्री रहते अपने विभाग के लिए अलग से पत्रिका का प्रकाशन कराया। इसके पीछे एकमात्र उद्देश्य सरकारी राशि का गबन करना था।

झारखंड प्रिंटर्स के चयन का आधार सिर्फ वार्तालाप था। यह बात फाइल में भी दर्ज है। मजेदार बात है कि पत्रिका में विभाग की योजनाओं के प्रचार से ज्यादतर पूर्व मंत्री का गुणगान होता था। इस पत्रिका के प्रकाशन से ना तो सरकार को कोई लाभ हुआ ना जनता को।

इस तरह से किया घोटाला

बिना टेंडर के आहार पत्रिका का प्रकाशन कराया गया। वित्तीय अनियमितता के उद्देश्य से तत्कालीन विभागीय मंत्री सरयू राय ने अपने ही पीए आनंद कुमार को विशेषज्ञ कार्यकारी संपादक नियुक्त कर दिया। आनंद कुमार से टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स को हर माह 2.61.793 कॉपी  आहार पत्रिका छापने का ऑर्डर दे दिया गया।

जब इस गड़बड़ी की सूचना बाहर आने लगी तो पत्रिका के प्रकाशन के लिए अप्रैल, 2018 में टेंडर किया गया। काम पुनः उसी झारखंड प्रिंटर्स को दे दिया गया, जो टेंडर होने के पहले से आहार पत्रिका का प्रकाशन कर रहा था।

टेंडर में भाग लेनेवाली दूसरी कंपनियों के पास झारखंड में और राज्य के लिए काम करने का काफी ज्यादा अनुभव था, जबकि झारखंड प्रिंटर्स को सिर्फ तीन साल के काम का अनुभव था।

झारखंड प्रिंटर्स ने अपने काम के अनुभव के बारे में बताया कि उसने युगांतर प्रकृति नामक पत्रिका का प्रकाशन किया है। युगांतर प्रकृति के मुख्य संरक्षक सरयू राय और संपादक उनके ही पीए आनंद कुमार हैं। ऐसे में इस गड़बड़ी के बारे में समझना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है।

झारखंड प्रिंटर्स युगांतर प्रकृति का केवल 5000 कॉपी छापता था। वितरण के नाम पर उसका अनुभव सिर्फ युगांतर प्रकृति पत्रिका को संस्था के कार्यालय तक पहुंचाना था। राज्य में पत्रिका के वितरण का उसका कोई अनुभव नहीं था। इसके बावजूद 5000 कॉपी छापने का अनुभव रखनेवाले झारखंड प्रिंटर्स को 2,61,793 कॉपी हर माह छापने का काम दे दिया गया। इतना ही नहीं वितरण के नाम पर शून्य अनुभव रखनेवाले को पूरे झारखंड में पत्रिका वितरण का काम दिया गया।

10 अगस्त, 2019 को मीडिया में खबर प्रकाशित हुई कि आहार पत्रिका राशन डीलरों तक नहीं पहुंच रही है। इस खबर के आधार पर विभाग ने सभी जिला आपूर्ति पदाधिकारियों व बाबा कंप्यूटर से सात दिनों के अंदर रिपोर्ट मंगवायी।

15 सितंबर 2019 को बाबा कंप्यूटर ने दूरभाष पर विभाग को जानकारी दी कि उसकी 298 डीलरों से बातचीत हुई है, जिसमें 115 ने स्वीकार किया कि उसे पत्रिका मिल रही। 183 ने कहा कि उसे नियमित रूप से पत्रिका नहीं मिल रही है। कहना था कि फरवरी से ही उन्हें पत्रिका नहीं मिल रही है। एक तरफ डीलर कह रहे थे कि उन्हें पत्रिका नहीं मिल रही है, दूसरी तरफ प्रिंटर्स को नियमित भुगतान भुगतान किया जा रहा था।

अनियमितता की शिकायत मिलने के बावजूद झारखंड प्रिंटर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, बल्कि उसे अवधि विस्तार दे दिया गया।

टेलीफोन संदेश में भी गड़बड़ी

मंत्री रहते सरयू राय ने 2016 में बाबा कंप्यूटर्स, रांची को काम दिया था। कंपनी का काम था खाद्य आपूर्ति विभाग की उपलब्धियों को टेलीफोन संदेश के माध्यम से लाभुकों तक पहुंचाना। प्रति कॉल कंपनी 81 पैसे चार्ज करती थी, जबकि यही काम सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मात्र 10 पैसे में कराता था।

सरकार के प्रचार-प्रसार का काम सूचना एवं जनसंपर्क विभाग करता है, लेकिन एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह काम खाद्य आपूर्ति विभाग खुद से करता था। इसके मंत्री सरयू राय खुद थे। यह एक तरह से सरकारी राशि के दूरुपयोग व गबन का मामला है।

बाबा कंप्यूटर्स को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर निकाला गया था। चार कंपनियों ने इसमें हिस्सा लिया था। चार में से दो कंपनी बाबा कंप्यूटर्स और जनसेवा डॉट ऑनलाइन का मालिक एक ही आदमी था, जिसका नाम रितेश गुप्ता है।

टेंडर में हिस्‍सा लेने वाली चार कंपनियों में एक अन्य विडर दुर्गा इंटरप्राइजेज, हरमू रोड का कोई भी प्रमाणिक पता नहीं है। पटना की कंपनी ने जो दर कोट की थी, वह जरूरत से ज्यादा थी। प्रथम दृष्टया यह मिलीभगत का मामला दिखता है, जिसमे विभागीय मंत्री की संलिप्तता थी।

वॉयस कॉल की दरें लगातार कम होती जा रही थी, लेकिन विभाग ने जानबूझ कर सेवा प्रदाता कंपनी से दरों को कम नहीं करायी, बल्कि उसी दर पर वर्ष 2018-19 तक अवधि विस्तार दिया जाता रहा।

महालेखाकार ने भी इसमें गड़बड़ी मानते हुए आपत्ति दर्ज की थी।