राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने शिक्षकों के स्‍थानांतरण पर दिये ये सुझाव

झारखंड
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रांची। राज्य के +2, माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षकों के स्थानांतरण नीति पर विचार के लिए 19 जुलाई को शिक्षक संगठनों से माध्‍यमिक शिक्षा निदेशक हर्ष मंगला ने चर्चा की। बैठक में राज्य के विभिन्न शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की ओर से सह संयोजक विजय बहादुर सिंह एवं प्रदेश मीडिया प्रभारी अरुण कुमार दास ने सुझाव रखें।

महासंघ के मुताबिक माध्‍यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा लिखित प्रतिवेदन लेकर महज औपचारिकता पूरी की गई है। सदस्‍यों ने कहा कि विभागीय पदाधिकारियों द्वारा शिक्षक प्रतिनिधियों को नजरंदाज कि‍या गया। उनसे आवश्यक मार्गदर्शन एवं उचित फोरम पर अपनी बातें रखने के नाम पर महज दिखावा कि‍या गया। इसका विरोध संगठन ने किया। शिक्षकों के हितों के साथ खिलवाड़ करने का विरोध किया। शिक्षकों को एक सशक्त आंदोलन करने के लिए लेकर तैयार रहने का भी आह्वान किया।

महासंघ की ओर से इन बिन्दुओं पर ध्यान आकृष्ट कराया गया

जोन का निर्धारण जिला मुख्यालय से दूरी, आवागमन के साधन एवं भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाए।

सुदूरवर्ती, दुर्गम एवं पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों को विशेष क्षेत्रीय /दुर्गम भत्ता दिया जाए।

शिक्षकों की संपूर्ण सेवा अवधि को तीन अवधि काल में विभाजित करते हुए प्रथम सेवा अवधि काल में जिले की आवश्यकता के अनुरूप विभागीय इच्छानुसार स्थानांतरण, दूसरी सेवा अवाधिकाल में आपसी वरीयता के अनुरूप स्थानांतरण करने एवं तीसरी अंतिम सेवा अवधि काल में शिक्षकों की पूर्णरूपेण इच्छानुसार स्थानांतरण करने का प्रस्ताव विभाग के समक्ष प्रस्तुत किया है।

प्राथमिकता सूची में असाध्य रोग से पीड़ित शिक्षक, दिव्यांग, महिला एवं पुरुष शिक्षकों के साथ राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को भी प्राथमिकता सूची में शामिल करने का सुझाव दिया।

वर्षों से लंबित प्रोन्नति प्रक्रिया को अविलंब संपादित करने के बाद स्थानांतरण प्रक्रिया को पूर्ण करने की बात कही।

अंतरजिला स्थानांतरण के लिए शिक्षकों की आपसी वरीयता को अक्षुण्ण रखते हुए गृह जिला के साथ-साथ स्थानीय आवास के आधार पर एच्छिक स्थानांतरण करने का सुझाव दिया।

देवघर एवं गोड्डा जिले के शिक्षकों को वर्ष 1999 से ही जबरन डीपीईपी योजना के तहत दुमका जिला में पदस्थापित  किया है। ऐसे शिक्षकों को अविलंब गृह जिला में स्थानांतरण करने की बात कही।

शिक्षकों को अंतिम 5 वर्षों की सेवा काल में स्थानांतरण सिर्फ और सिर्फ उनकी इच्छानुसार किया जाए।

विद्यालयों में महिला एवं पुरूषों का अनुपात यथासंभव बराबर रखा जाए।

चतरा जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आरंभ किए जाने वाले स्थानांतरण पोर्टल काउंसलिंग कमेटी के समक्ष स्कूल एलोकेशन एवं काउंसलिंग को ऑफलाइन रखा गया है, जिसे ऑनलाइन करने की मांग की गयी।

वर्तमान में जिले के दूरस्थ एवं दुर्गम स्थित विद्यालयों में वर्षो से पदस्थापित रहने वाले शिक्षकों का तत्काल उनकी इच्छा के अनुरूप स्थानांतरण सुनिश्चित कि‍या जाए।

महासंघ के प्रतिनिधिमंडल में शामिल समीर श्रीवास्तव के नेतृत्व में अनुकंपा शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से ग्रेड 1 का लाभ सरकार के संकल्प के अनुसार देने के लिए विधि विभाग के अधिकारियों से मिलकर कार्यसंपादित करने में गति देने के लिए अनुरोध किया है। उन्‍होंने यथाशीघ्र कार्यसंपादित करने का भरोसा प्रतिनिधिमंडल को दिया है।