रांची। रांची विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या विश्व के कई देशों के लिए प्रमुख चुनौती बन गयी है। विश्व जनसंख्या दिवस का मुख्य उद्देश्य परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों जैसे मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाना है। बढ़ती जनसंख्या विश्व के कई देशों के सामने बड़ी समस्या का रूप ले चुका है। विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर चिंता का विषय है। वह विश्व जनसंख्या दिवस पर ‘जनसंख्या विस्फोट : एक सामाजिक समस्या’ विषय पर वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थी। इसका आयोजन गूगल मीट के माध्यम से 11 जुलाई को रांची विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में किया गया।
मुख्य वक्ता रांची विश्वविद्यालय के पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ पीके वर्मा ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या का प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इनको निकट भविष्य में अनुकूल बनाना सभी के लिए कठिन समस्या है। बंदिशें या कानून से नहीं, बल्कि जनसंख्या नियंत्रण में सामाजिक जागरुकता लाना जरूरी है। बढ़ती जनसंख्या किसी भी समाज के लिए विकट समस्या है। इसके लिए जागरुकता अभियान चलाने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि रांची विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा ने कहा कि जनसंख्या में तीव्र गति से हो रही वृद्धि के कारण पर्यावरण, आवास और रोजगार के साथ-साथ अन्य कई समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। इनका शीघ्र निराकरण नहीं किया गया तो समूची मानव सभ्यता विनाश के कगार पर पहुंच सकती है। भारत में बढ़ती आबादी का पृथ्वी, जल, वायु आदि प्राकृतिक संसाधनों पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। इन संसाधनों में लगातार कमी हो रही है। जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने की समन्वित नीति अपनाई जाए। इसमें सरकार, समाज और आम लोगों की पूरी भागीदारी हो।
वेबिनार का संचालन एनएसएस आर यू के कार्यक्रम समन्वयक डॉ ब्रजेश कुमार और धन्यवाद कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ कुमारी उर्वशी ने किया। डीएसपीएमयू के अंग्रेजी विभाग के शिक्षक डॉ विनय भरत, जेएन कॉलेज धुर्वा की संस्कृत विभाग की शिक्षिका डॉ भारती द्विवेदी, रांची विमेंस कॉलेज के बीबीए विभाग की शिक्षिका डॉ सुरभि श्रीवास्तव, डॉ अनुभव चक्रवर्ती, अंजली मिश्रा, राहुल कुमार साहू, फलक फातिमा, पूनम कुमारी, शुभम गुप्ता, प्रिंस तिवारी, संदीप कुमार, नेहा कुमारी ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे।