कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि माता-पिता नाजायज हो सकते हैं लेकिन बच्चे नाजायज नहीं होते क्योंकि बच्चे के जन्म में उसकी अपनी कोई भूमिका नहीं होती।
जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस एच संजीव कुमार की खंडपीठ ने यह टिप्पणी पिछले दिनों एकल पीठ के फैसले को रद्द करने के दौरान की, जिसमें याचिकाकर्ता संतोष की याचिका खारिज कर दी गई थी। याचिकाकर्ता ने सरकारी बेंगलुरु इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी (BESCOM) में पिता की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का निर्देश देने का अनुरोध अदालत से किया था। BESCOM ने अपनी नीति का हवाला देते हुए उसके आवेदन को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि वह मृतक की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ।
कंपनी के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसे एकल पीठ ने रद्द कर दिया। दो जजों की पीठ ने एकल पीठ के फैसले को रद्द करते हुए कहा, ‘यह संसद पर है कि वह कानून के जरिए बच्चों की वैधता में एकरूपता लाए और उन तरीकों पर विचार करे जिससे वैध शादी से बाहर पैदा होने वाले बच्चों को भी सुरक्षा दी जा सके।