मत्स्य विज्ञान क्षेत्र में संभावनाओं पर चर्चा, विद्यार्थियों को मिली जानकारी

झारखंड
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रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय अधीन संचालित गुमला स्थित कॉलेज ऑफ फिशरीज साइंस के प्लेसमेंट सेल द्वारा मत्स्य विज्ञान क्षेत्र में संभावना विषयक एक दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वेबिनार के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में कॉलेज के सभी चार सत्रों के कुल 72 विद्यार्थियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम के दौरान विबरेक कंपनी (कोलकाता) के सीनियर प्रोडक्ट मैनेजर महेश खोपाड़े ने वर्ल्ड एक्वाकल्चर में व्यावसायिक दृष्टिकोण से पाली जाने वाली प्रमुख मछलियों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही भारत में व्यावसायिक दृष्टिकोण से पाली जाने वाली प्रमुख मछलियों रोहू, कतला, मृगल, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प, तिलापिया, पंगास एवं मांगूर के सबंध में जानकारी दी। मछली पालन में मुख्य चुनौतियों एवं उसके समाधान से अवगत कराया। उन्होंने छात्रों को मछली पालन के लिए तैयारी, जल गुणवत्ता का प्रबंधन, दैनिक आहार, पोषक तत्व प्रबंधन एवं मछली के रोग एवं प्रबंधन की जानकारी दी।

इस अवसर पर महेश खोपाड़े ने विबरेक कंपनी द्वारा मछली पालन के लिए तैयार उत्पादों की जानकारी दी। उन्होंने जल गुणवत्ता सुधार के लिए जिओलाईट आधारित टोक्सीमर एवं भी 5 वाटर प्रोबायोटिक्स, पानी में ऑक्सीजन के स्तर में सुधार के लिए ओ2 मैक्स टेबलेट, अमोनिया नियंत्रण के लिए माइक्रोलांस और कार्बनिक भार एवं हरे-नीले पल्लवों की सघनता कम करने के लिए इको मरीन टेबलेट के उपयोगिता के बारे में बताया।

मौके पर एसोसिएट डीन डॉ एके सिंह ने झारखंड में व्यावसायिक मछली पालन की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कंपनी के बिज़नस मैनेजर तपन शर्मा एवं अन्य पदाधिकारी विनायक सुर्वे एवं योगेश कुमार ने भी अपने विचारों को रखा। कार्यक्रम में छात्रों ने काफी रुचि देखी गई। कार्यक्रम का संचालन प्लेसमेंट सेल प्रभारी श्वेता कुमारी ने किया। कार्यक्रम में कॉलेज के सभी शिक्षक भी शामिल हुए।