रांची। ग्रामीण विकास सचिव मनीष रंजन ने कहा कि झारखंड को डायन हत्या एवं डायन कुप्रथा से मुक्त करने में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा चलाई जा रही गरिमा परियोजना महत्वपूर्ण योगदान कर रही है। राज्य के स्कूलों में कक्षा 1 से 8 के बच्चों के पाठ्यक्रम में इस कुप्रथा से जागरूक करने के लिए एक अध्याय जोड़ना काफी सहायक होगा। वे 30 जुलाई को गरिमा परियोजना के प्रथम राज्य स्तरीय संयुक्त समीक्षा बैठक में उपस्थित एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से जुड़े विभिन्न विभाग के पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
सहयोग से जमीनी स्तर पर काम हो सकेगा
रंजन ने कहा कि गरिमा परियोजना सब के सम्मिलित सहयोग से ही जमीनी स्तर पर कार्य कर सकेगा। डायन हत्या एवं डायन कुप्रथा का उनमुलन कानून और जागरुकता दोनों के साझा प्रयास से ही संभव है। डायन हत्या से संबंधित मामलों में मुख्यता आपसी रंजिश, ओझा गुनी जैसी बातें सामने आती रही हैं। जमीन हथियाने के लिये भी इसका कई मामलों में इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिलाओं को समानता और अधिकार दिलाना है, जो एक विकसित समाज में मिलती है। उन्होंने कहा कि मुंबई में भी इस तरह की परियोजना पर कार्य हुआ है। वहां से इस कुप्रथा का उन्मूलन हुआ। राज्य में भी कमोबेश वैसी ही परिस्थितियां हैं, लेकिन यहां भाषाई असमानताएं होने के कारण काफी दिक्कत आती रहीं है। उन्होंने कहा कि आम लोग समाचार पत्रों में ही इस तरह की खबरों से रूबरू होते हैं, लेकिन हमारे यहां जो फील्ड वर्कर हैं, वे इस तरह की घटनाओं से खुद ही रूबरू होते हैं, जो बहुत ही मार्मिक होते हैं।
मार्च, 2023 तक डायन प्रथा का उन्मूलन
झारखंड राज्य आजीविकी संवर्धन सोसायटी की मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी श्रीमती नैन्सी सहाय ने कहा कि गरिमा परियोजना अप्रैल 2020 से शुरू की गई थी। इसका लक्ष्य मार्च, 2023 तक राज्य से पूर्णता डायन कुप्रथा का उन्मूलन करना है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते इस परियोजना में काफी दिक्कतें आईं, परंतु हमारे द्वरा जमीनी स्तर पर कई जागरुकता अभियान भी चलाए गए। उन्होंने कहा कि इस परियोजना का उद्देश्य डायन प्रथा से प्रताड़ित महिलाओं को बचाना उनके लिये आय का स्त्रोत सृजित करना और उन तक जल्द से जल्द सहायता पहुंचाना है। इसके लिये उन्हें लाइवलीहुड एक्टिविटी से जोड़ा जा रहा है एवं उनके क्षमता निर्माण का भी कार्य किया जा रहा है।
इस तरह से किया जा रहा है जागरूक
श्रीमती सहाय ने बताया कि इस परियोजना के तहत नुक्कड़ नाटक, सिचुएशन ड्रामा, रियल टाइम थिएटर, स्लोगन राइटिंग, रैली, वॉल राइटिंग, पब्लिक लर्निंग, टेकिंग ओथ अगेंस्ट विच हंटींग आदि कई कार्यक्रमों के जरिये लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने सभी विभागों के रोल और रिस्पांसिबिलिटीज को बताया जिससे इस परियोजना का लोगों को अधिक से अधिक लाभ पहुंच सके।
विभाग साथ मिलकर कर रहा जागरूक
सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के निदेशक शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा जेएसएलपीएस के साथ मिलकर आईईसी एक्टिविटी करके आम लोगों तक इसके लिए जागरूकता फैलाने का कार्य किया जा रहा है। साथ ही, ग्रीवांस रजिस्ट्रेशन और उनके ससमय निरारकरण पर भी विभाग कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ- साथ सोशल मीडिया, सक्सेस स्टोरी और डॉक्यूमेंट्रीज के द्वारा भी लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं में नुक्कड़ नाटक का प्रयोजन कर, ब्रांड अंबेसडर को चुनकर जो इस तरह के मामलों के विरूद्द बोल सके, उन्हें शिक्षित करने का कार्य भी किया जा रहा है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा इस हेतु जेएसएलपीएस के साथ आगे भी समन्वय स्थापित कर जागरूकता कार्य किया जाता रहेगा।
इस अवसर पर विभिन्न विभाग से आए उनके प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे। साथ ही, इस क्षेत्र में कार्य कर रहे विभिन्न एनजीओ द्वारा भी अपने मंतव्य रखे गए।