बलिया। बलिया के एक और लाल ने मेडिकल जगत में बुलंदियों को छुआ है। कड़ी मेहनत और सच्ची लगन के बल पर चिलकहर ब्लॉक के आलमपुर के रहने वाले डॉ. राणा प्रताप सिंह ने एक सीरिंज का आविष्कार किया है। जिसे भारत सरकार ने पेटेंट कराया है। स्व. भगवती शरण सिंह व रिटायर्ड प्रधानाचार्य शांति सिंह के होनहार लाल डॉ. राणाप्रताप सिंह शुरू से ही मेधावी व कुशाग्र बुद्धि के धनी रहे। डॉ. राणा को इंग्लैंड से दो बार स्कॉलरशिप मिल चुकी है। डॉ. राणाप्रताप सिंह के अविष्कार को भारत सरकार ने इसी साल मान्यता देते हुए इसे उनके नाम से पेटेंट कर दिया है।
पांच भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर रहे डॉक्टर राणा ने एमबीबीएस की पढ़ाई भारत के बाहर की और पढ़ाई समाप्त होते ही दिल्ली के एम्स व सफदरगंज अस्पताल में दो साल अपनी सेवाएं दी। वर्तमान में वह गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नूंह हरियाणा में एमडी एनिथिसिया की पढ़ाई कर रहे हैं।
डॉ. राणाप्रताप सिंह ने बताया कि 2015 में उन्होंने ऐसी सीरिंज का अविष्कार किया जिससे सीरिंज से खून लेने के बाद खून की जांच करने के लिए वायल की आवश्यकता नहीं पड़ती। बल्कि यह सीरिंज ही वायल में परिवर्तित हो जाती है। इससे एक ओर जहां वायल का खर्चा बच जाता है और खून की जांच की पूरी प्रक्रिया सरल हो जाती है। भारत सरकार ने उनके इस अविष्कार को बीस वर्ष के लिए पेटेंट किया है।
उन्होंने कहा कि 130 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में ऐसे अविष्कारों के माध्यम से पूरी चिकित्सा प्रणाली सस्ती व सुलभ हो पाती है। कोविड-19 के इस महामारी काल दौर में इस तरीके के आविष्कारों की आवश्यकता है। उन्होंने बड़े ही सहज भाव से अपनी इन सारी उपलब्धियों को अपने परिवार व अपनी मां शांति सिंह के साथ परिवार के सदस्यों बड़ी बहन डॉ. सुषमा सिंह, बड़े भाई रुद्रप्रताप सिंह, छोटे भाई देवेंद्र प्रताप सिंह भाभी कंचन सिंह, बहन श्वेता सिंह को समर्पित किया। उन्होंने बताया कि भविष्य के लिए यह प्रयास है कि चिकित्सा जगत को कैसे और सस्ता और सरल बनाया जाए। उनका पहला आविष्कार पेटेंट होने के बाद अब उद्देश्य है कि आगे भी इस तरह का अविष्कार होता रहे जिससे चिकित्सा जगत को लाभ मिलता रहे।