टाटा स्टील फाउंडेशन ने ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के चौथे चरण के लिए टेरी के साथ किया एमओयू

देश मुंबई
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मुंबई। टाटा स्टील और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) ने संयुक्त रूप से 2017 में ‘द ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट’ लॉन्च किया था। समय के साथ यह प्रोजेक्ट एक अभियान के रूप में विकसित हुआ है, जिसने वातावरण की सुरक्षा के लिए हजारों विद्यार्थियों को इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया है। विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून को टाटा स्टील फाउंडेशन ने द ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के चौथे चरण के लिए टेरी के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया।

एमओयू पर चाणक्य चौधरी (वाइस प्रेसिडेंट, कॉर्पोरेट सर्विसेज, टाटा स्टील) और डॉ विभा धवन (डायरेक्टर जेनेरल, टेरी) ने एक वर्चुअल इवेंट ‘नव्याता 2021’ में हस्ताक्षर किया, जिसका आयोजन विद्यार्थी, शिक्षक, स्कूलों ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट के विभिन्न पहलुओं से जुड़े अन्य स्टेकहोल्डरों द्वारा किए गए उल्लेखनीय प्रयासों को सम्मानित करने के लिए भी किया गया। पंकज कुमार सतीजा (चीफ रेगुलेटरी अफेयर्स, टाटा स्टील), सौरव रॉय (चीफ सीएसआर, टाटा स्टील) और सुश्री नेहा (फेलो, इन्वायरमेंट, एजुकेशन ऐंड अवेयरनेस), टेरी, टाटा स्टील समेत कंपनी और टेरी से अन्य गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम में स्कूली विद्यार्थी, शिक्षक, सदस्य स्कूलों के प्रिंसिपल और अतिथियों सहित 350 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

इस अवसर पर चाणक्य चौधरी ने कहा कि ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट की शुरुआत पर्यावरण के प्रति जागरूक योद्धाओं की एक पीढ़ी के निर्माण के लिए की गई थी, जो जैव विविधता और प्रकृति के खजाने का संरक्षण और परिरक्षण करेंगे। संसाधन और लाखों प्रजातियों के प्राकृतिक आवास को हुए नुकसान के परिणामस्वरूप अपरिवर्तनीय क्षति हुई है। यह हम पर निर्भर है कि हम ना केवल युवा पीढ़ी को शिक्षित करें, बल्कि उन्हें सही अवसरों और उपकरणों के साथ सशक्त भी करें, ताकि वे हमारे ग्रह की खोई हुई महिमा को बहाल करने की तत्काल आवश्यकता पर कार्य कर सकें। टाटा स्टील ने इस जिम्मेदारी को महसूस किया है और अगली पीढ़ी के हरित सेनानियों को तैयार करने के लिए एक मिशन के प्रति कटिबद्ध है, जो प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व के लिए संतुलन को फिर से बनाने के लिए अभिनव तरीके खोजेंगे।

डॉ विभा धवन ने कहा कि प्रोजेक्ट की शुरुआत के बाद से हमने पर्यावरण शिक्षा और स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) को ना केवल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने पर काम किया, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विद्यार्थियों और समुदाय के मूल्यों एवं जीवन शैली का अभिन्न अंग बनाया है। अब हमारे पास ऐसे मॉडल स्कूल भी हैं, जो हमारे एम्बेसेडर बन सकते हैं, क्योंकि हम और भी अधिक दूरदराज के क्षेत्रों में स्कूलों तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। इस कठिन समय में यह आशा की किरण है।

‘नव्याता 2021’ समारोह की शुरुआत अपराजिता अग्रवाल, रेगुलेटरी अफेयर्स, टाटा स्टील के स्वागत से हुई। इसके बाद शिक्षकों को सम्मानित करने के लिए एक वीडियो दिखाया गया। विजेताओं की घोषणा की गयी। फिर चाणक्य चौधरी के एक विशेष संबोधन हुआ और एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया।

ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट का चौथा चरण विद्यार्थियों और शिक्षकों की क्षमता को बढ़ाने पर केंद्रित करेगा, ताकि  भविष्य में सेल्फ-मॉडल सस्टेनेबल प्रोजेक्टों का भार लेने के लिए उन्हें सशक्त बनाया जा सके। चौथे चरण के प्रस्ताव में विद्यार्थियों को ’कल के जिम्मेदार नागरिक’ के रूप में सलाह देने के लिए सेल्फ-डिज़ाइन  ग्रीन स्कूल प्रोजेक्ट, प्रासंगिक विषयों पर ई-बुकलेट, गहन शिक्षक प्रशिक्षण, ग्रीन स्कूल बड्डी प्रोग्राम, प्रयोगात्मक कार्यशालाएं और विशेषज्ञ के सत्र शामिल हैं। यह चरण टाटा स्टील फाउंडेशन से जुड़े बच्चों की शिक्षा पर महत्वपूर्ण अनुभव और प्रभाव भी लाएगा।

चौथे चरण के दौरान सामुदायिक प्रभाव परियोजनाओं के तहत ओडिशा में अंगुल के स्कूलों में अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित कार्यों को करने के लिए 6 गांवों की पंचायतों को शामिल किया गया था, जिसमें अपशिष्ट प्रबंधन के तहत तीन अवधारणाओं अर्थात ‘रिफ्यूज, सेग्रीगेट और रियूज’ (इंकार, पृथक्करण और पुनः उपयोग) पर प्रकाश डाला गया था। पेन स्टैंड, डोर मैट, टोकरी आदि जैसे 350 उत्पाद बनाने प्लास्टिक की थैलियों को नकारने, गीले व सूखे कचरे का पृथक्करण और अपशिष्ट पदार्थों के पुनः उपयोग जैसी पहल की गई।

जाजपुर, वेस्ट बोकारो और झरिया के विद्यार्थियों ने चिड़ियों का घोंसला बनाने और उन्हें स्थानीय पेड़ों पर स्थापित करने का काम करने का फैसला किया। 1050 से अधिक चिड़ियों के घोंसले और 1200 बर्ड फीडर तैयार कर उनके इलाके में विभिन्न स्थानों पर स्थापित किए गए हैं। पौधों के संरक्षण की आदतों को विकसित करने और पौधों के प्रति विद्यार्थियों के स्नेह को विकसित करने के लिए विद्यार्थियों ने घरों में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न फलों और सब्जियों के बीज एकत्र किए और 270 बीज संग्रह बैंक बनाए। इन बीजों को किचन गार्डन में लगाया गया या पौधों की देखभाल के अनुरोध के साथ दूसरों को वितरित किया गया। जोडा और नोआमुंडी के विद्यार्थियों ने 300 हर्बल व 42 औषधीय उद्यान बनाए। उन्होंने 3000 से अधिक कागज व कपड़े के बैग तैयार किए, जिन्हें प्लास्टिक बैग के उपयोग के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए समुदाय के लोगों के बीच वितरित किया गया।

ग्रीन स्कूल टाटा स्टील द्वारा समर्थित एक प्रतिष्ठित पहल है। इसे फाउंडेशन और टेरी द्वारा झारखंड और ओडिशा में कंपनी के कई परिचालन स्थलों पर लागू किया जा रहा है। विद्यार्थियों के लिए कई कार्यशालाएं, प्रतियोगिताएं, वेबिनार आदि आयोजित किए गए हैं, जबकि स्कूलों के शिक्षक ‘सस्टेनेबिलिटी लीडरशिप प्रोग्राम’ और व्यावहारिक कार्यशालाओं में हिस्सा लेकर अपने कौशल का निर्माण करते हैं। ‘पृथ्वी दिवस-2021’ के अवसर पर ‘परंपरागत कहानियों’ पर आधारित एक पारंपरिक ज्ञान पुस्तक का भी विमोचन किया गया था। इसमें विद्यार्थियों की कहानियों के साथ-साथ विशेषज्ञों के लेख भी शामिल किए गए हैं, जो पर्यावरण के संरक्षण के लिए ’पारंपरिक प्रथाओं’ के महत्व को रेखांकित करते हैं।

तीसरे चरण की अवधि के विभिन्न प्रतियोगिता और गतिविधियों के विजेता

सेंट मेरीज स्कूल, जाजपुर, ओडिशा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला स्कूल बना और इसने ’ग्रीन स्कूल रोलिंग ट्रॉफी’ जीती, जबकि टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल, घाटोटांड, वेस्ट बोकारो, झारखंड को वर्ष 2020-21 के लिए दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्कूल के रूप में चुना गया। सामुदायिक प्रभाव परियोजना (सीआईपी) श्रेणी के तहत, वेस्ट बोकारो ने पहला स्थान प्राप्त किया और साथ ही झरिया और जाजपुर ने प्रोजेक्ट लोकेशन के भीतर गतिविधियों के प्रबंधन में क्रमशः दूसरा स्थान साझा किया। प्रोजेक्ट में  असाधारण योगदान के लिए प्रोजेक्ट लोकेशन अंगुल, जोडा और नोवामुंडी को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया।