भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल की दुनिया में प्रवेश कराया सर दोराबजी टाटा ने

खेल झारखंड
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जमशेदपुर। सर दोराबजी टाटा ने भारत को अंतरराष्‍ट्रीय खेल की दुनिया में प्रवेश कराया। 27 अगस्त, 1859 में जन्में सर दोराबजी टाटा जमशेदजी नसेरवानजी टाटा के ज्येष्ठ पुत्र थे। उन्होंने भारत का पहला एकीकृत स्टील प्लांट (1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी, अब टाटा स्टील लिमिटेड), एक पॉवर प्लांट (1910 में टाटा हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर सप्लाई कंपनी) और एक रिसर्च इंस्टीट्यूट (1911 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस) की स्थापना कर अपने पिता के सपनों को साकार किया।

सर दोराबजी एक उत्साही खिलाड़ी भी थे। टेनिस खेलने में उन्हें बड़ा आनंद आता था। वे एक संपूर्ण घुड़सवार थे। कैम्ब्रिज में अपने कॉलेज के दिनों में वे क्रिकेट और फुटबाल खेला करते थे।

1920 में एंटवर्प ओलंपिक गेम्स के लिए चार एथलीटों और दो पहलवानों को चुन कर उन्हें स्पांसर किया। इस प्रकार भारत को अंतरराष्ट्रीय खेल की दुनिया में प्रवेश कराया। उस वक्त भारत में कोई ओलंपिक निकाय नहीं था। उन्होंने पेरिस के 1924 ओलंपियाड में भारत के लिए एक स्थान भी सुनिश्चित किया। उन्हें इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी का सदस्य चुना गया।

1927 में सर दोराबजी टाटा की अध्यक्षता में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) का गठन किया गया। आईओए ने 1928 एम्सटर्डम ओलंपिक्स के लिए भारतीय टीम का चयन किया। भारत ने पहली बार हॉकी में गोल्ड मेडल जीता।