आदिवासियों में सिकल सेल की होगी जांच, मोबाइल वैन रवाना

देश नई दिल्ली
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नयी दिल्ली/खूंटी। विश्व सिकल सेल दिवस पर 19 जून को जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने जांच के लिए खूंटी (झारखंड) और कांकेर (छत्तीसगढ़) में मोबाइल वैनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर दूसरे राष्ट्रीय सिकल सेल वर्चुअल कॉनक्लेव को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में

मंत्रालय सिकल सेल अनुवांशिक समस्या के समाधान के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। इसमें परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय और अन्य कई प्रमुख संस्थाएं हमारे साथ कार्य कर रही है।

सिकल सेल अनुवांशिक समस्या का अंत ही हमारा ड्रीम और प्राथमिक प्रोजेक्ट है। हम इस बीमारी से आदिवासियों को निजात दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। भविष्य में हम नए प्रयासों के द्वारा इस लाईलाज अनुवांशिक समस्या का समाधान करने के लिए कोशिश कर रहे हैं।

सिकल सेल बीमारी (एससीडी), जो विरासत में मिला सबसे प्रचलित रक्त विकार है, भारत में व्यापक रूप से कई जनजातीय समूहों में पाई जाती है। यह कई राज्यों में स्वास्थ्य के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। भारत में यह बीमारी मुख्य रूप से झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिमी ओडिशा, पूर्वी गुजरात और उत्तरी तमिलनाडु व केरल में नीलगिरी पहाड़ियों के कुछ इलाकों में प्रचलित है।

केंद्रीय मंत्री ने वर्चुअल माध्यम से सिकल सेल बीमारी की जांच के लिए खूंटी (झारखंड) और कांकेर (छत्तीसगढ़) में मोबाइल वैनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। खूंटी समाहरणालय में उप विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह झंडी दिखाकर वैन रवाना करते हुए। इस कॉनक्लेव को जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की), नोवार्टिस, अपोलो हॉस्पिटल, पिरामल फाउंडेशन, जीएएससीडीओ और एनएएससीओ के साथ भागीदारी में आयोजित किया गया।