रांची। समग्र शिक्षा के अंतर्गत एक जुलाई से वित्तीय प्रबंधन की नई व्यवस्था लागू की जा रही है। इसके तहत समग्र शिक्षा के लिए राज्य स्तर पर एक बैंक खाता संचालित किया जाएगा। इसकी जानकारी झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद् के राज्य परियोजना निदेशक डॉ शैलेश कुमार चौरसिया ने दी है। उन्होंने इस संदर्भ में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी, सभी कार्यक्रम पदाधिकारी, सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को 16 जून को पत्र लिखा है। जिले के सभी संबंधित को अवगत कराने का निर्देश दिया है। साथ ही, उपर्युक्त निर्देशों का अनुपालन ससमय सुनिश्चित कराने की बात कही है, ताकि केंद्र एवं राज्य सरकार से आगामी केन्द्रांश/राज्यांश की राशि राज्य कार्यालय को प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न नहीं हो।
राज्य परियोजना निदेशक ने लिखा है कि समग्र शिक्षा के अंतर्गत अब तक केंद्र एवं राज्य सरकार से प्राप्त राशि राज्य कार्यालय द्वारा जिला/प्रखंड कार्यालय, कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय, समर्थ आवासीय विद्यालय ग्राम शिक्षा समिति/विद्यालय प्रबंधन समिति एवं जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को उनके बैंक खाते में दी की जाती थी। उसका व्यय कर सभी संबंधित द्वारा उपयोगिता उपलब्ध कराया जाता था। इस वित्तीय प्रवाह की समीक्षा के क्रम में भारत सरकार द्वारा ऐसा पाया गया है कि अधीनस्थ क्रियान्वयन एजेंसियों को उनके खाते में राशि देने के बाद इन यूनिट द्वारा राशि व्यय नहीं कर पाने के कारण पर्याप्त राशि विभिन्न अधीनस्थ स्तरों पर बैंक खातों में बच जाती है। क्रियान्वयन एजेंसियों द्वारा समय से उपयोगिता उपलब्ध नहीं कराया जा पाता है, जिस कारण एक तरफ इन एजेंसियों के पास पर्याप्त अव्ययकृत राशि बैंक खातों में उपलब्ध होती है, जो लेखा विधियों के अनुसार इस राशि को अग्रिम दर्शाये जाने से विभिन्न वरीय स्तरों पर भ्रांतियां उत्पन्न होती रहती थी। इस प्रकार कार्यक्रम क्रियान्वयन का मूल उद्देश्य प्रभावित होते हैं।
मामले की समीक्षा के बाद वित्त मंत्रालय व्यय विभाग (भारत सरकार), शिक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) और उस अनुरूप वित्त विभाग (झारखंड सरकार) द्वारा यह संकल्प लिया गया है कि अब से समग्र शिक्षा के लिये राज्य स्तर पर एक बैंक खाता संधारित होगा। राज्य कार्यालय के अधीनस्थ सभी एजेंसियों को शून्य शेष आधारित एक बैंक खाता संधारित किया जाना है। अब से राज्य कार्यालय द्वारा सभी अधीनस्थ एजेंसियों को आवंटन आधारित राशि की निकासी के लिये प्राधिकार निर्गत किये जायेंगे, जिसके अधीन विभिन्न स्तरों पर एजेंसियां आवश्यकतानुसार राज्य स्तर पर संधारित बैंक खाते के माध्यम से वास्तविक राशि की निकासी कर सकेंगे। इस प्रकार इन एजेंसियों के बैंक खाते में हमेशा शून्य अवशेष ही रहेगा।
इसी परिपेक्ष्य में वित्त मंत्रालय केंद्र एवं राज्य सरकार और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा निर्देशित किया गया है कि अधीनस्थ सभी स्तरों पर समग्र शिक्षा के योजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित राशि 30 जून, 2021 तक राज्य कार्यालय के बैंक खाते में वापस करा ली जाय। एक जुलाई, 2021 से निधि प्रवाह की बदली व्यवस्था प्रभावी होगी। इस तिथि के बाद अधीनस्थ एजेंसियों को उनके बैंक खाते में राशि विमुक्त नहीं की जायेगी। निर्देशों के अनुपालन में विलंब होने से केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा राज्य कार्यालय को भी राशि विमुक्ति नही की जायेगी।
इन निर्देश का पालन करना होगा
समग्र शिक्षा के अंतर्गत ग्राम शिक्षा समिति/विद्यालय प्रबंधन समिति, डॉयट, कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय, समर्थ आवासीय विद्यालय एवं प्रखंड कार्यालयों के बैंक खाते में अवशेष राशि जिलों द्वारा सर्वप्रथम जिला कार्यालय के बैंक खाते में दिनांक 15 जून, 2021 तक वापस ली जाय। ऐसे वापस होने वाली राशि का जिन मदों में जिन एजेंसियों को राशि विमुक्त हुई थी, उसी मद में रिवर्स लेखांकन किये जाय, ताकि प्राप्त राशि किसी भी हालत में अनुदान के रूप में प्राप्ति लेखांकन नहीं हो। जिले अधीनस्थ एजेंसियों के व्यक्तिगत खतौनी से भी मिलान करेंगे, ताकि सामांजन के लिए शेष राशि के विरुद्ध उपलब्ध बैंक शेष के अलावे अतिरिक्त प्राप्य राशि की उपयोगिता प्राप्त कर सामंजन की कार्रवाई करायी जाय, ताकि जिले के अधीनस्थ एजेंसियों से किसी प्रकार के पावना/ सामंजन का मामला लंबित नहीं रहे। जिला स्तर पर इनके लेखे शून्य बैलेंस पर सामंजित हो। यहां स्पष्ट करना है कि अधीनस्थ स्तरों से वापस होने वाली राशि का लेखांकन अन्यायन प्राप्तियां अथवा उचंत खाते के नाम से प्रवष्टि मान्य नहीं होगी।
किसी भी स्तर पर यदि किसी प्रकार की फर्जी निकासी अथवा अग्रिम के विरुद्ध उपयोगिता प्राप्त नहीं होता है तो वैसे सभी संबंधित के विरूद्ध यथोचित नियमानुसार अनुशासनिक कार्रवाई की जाय। राशि की वसूली और लेखे सामंजित करायी जाये।
इस पत्र के बाद सभी स्तरों पर सतर्कतापूर्वक विश्लेषण किया जाय कि पत्र निर्गत के बाद बैंक खातों में अवशेष बिना प्रयोजन के जानबूझ कर राशि खातों से निकासी नहीं हो। पत्र निर्गम तिथि से राशि वापसी की तिथि के बीच विभिन्न स्तरों पर किये गये निकासी एवं व्यव की जिला स्तर पर पूर्व से नियुक्त आंतरिक अंकेक्षक से चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही के अंकेक्षण के दौरान विशेष अंकेक्षण जिलों के द्वारा कराया जाय। इस अवधि के बीच विभिन्न स्तरों पर निकासी एवं व्यय की राज्य स्तर से भी बाद में विशेष अंकेक्षण कराया जायेगा।
इस कार्य के लिये प्रखंड एवं कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय के लेखापाल का पूर्ण सहयोग लिया जाय, ताकि एक-एक विद्यालय के लेखे का सही से वित्तीय आंकड़े का मिलान हो सके।
पत्र में वर्णित क्रियान्वयन एजेंसियों के अतिरिक्त यदि किसी अन्य संबद्ध एजेंसियों को राशि विमुक्त की गयी हो तो उसे भी वापस लेते हुए लेखे सामंजित की जाय।
सभी संबंधित एजेंसियों के द्वारा संधारित बैंक खातों से वापस ली गयी राशि की विवरणी तैयार की जाय। इससे संबंधित बैंक खाते के साक्ष्य संधारित किये जाय एवं संधारित बैंक खाता की विवरणी यथा (बैंक का नाम, खाता का नाम, आईएफएससी कोड और खाता संख्या) की विवरणी तैयार कर जिला स्तर पर रक्षित किया जाय, जिसकी समेकित विवरणी राज्य कार्यालय को उपलब्ध करायी जाय।
जिला स्तर पर अंततः प्राप्त हुई राशि एवं जिला में समग्र शिक्षा के अंतर्गत उपलब्ध शेष सहित पूर्ण राशि राज्य कार्यालय को 20 जून, 2021 तक वापस की जाय। जिला स्तर पर भी शून्य अवशेष आधारित बैंक खाता संधारित की जाए।
बदली निधि प्रवाह व्यवस्था के अंतर्गत राज्य कार्यालय के अलावे अन्य सभी क्रियान्वयन एजेंसियों के स्तर पर भविष्य में किस तरह से राशि अंतरण/व्यय किये जायेंगे के संबंध में बाद में स्पष्ट निर्देश निर्गत किया जायेगा।
यह आदेश समग्र शिक्षा से संबंधित राशि की वापसी अथवा अग्रिम सामंजन से संबंधित है। राज्य योजनाओं की राशि तत्काल वापस नहीं ली जानी है। राज्य योजनाओं के लिये समितियों के द्वारा अलग सकती है। खाता खोलकर राशि संधारित की जा सकती है।
यहां यह स्पष्ट करना है कि तत्काल सभी संबंधित एजेंसियों से मात्र राशि वापस ली जानी है। राशि वापसी के बाद शून्य शेष आधारित बैंक खाते किसी भी स्तर पर बंद नहीं किये जाय। यदि किसी एजेंसी द्वारा एक से अधिक बैंक खाते संधारित है तो उन सभी बैंक खातों से राशि की वापसी करायी जाय। सिर्फ एक बैंक खाता क्रियान्वित रखी जाए।