किसान सभा ने कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर जताया विरोध

झारखंड
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लातेहार। संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर झारखंड राज्य किसान सभा ने चंदवा के शुक्रवारीय बजारटांड़ में केंद्र की कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। इस अवसर पर जिला अध्यक्ष अयुब खान ने कहा कि आज पूरे देश में किसान संपूर्ण क्रांति दिवस मनाकर कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं। पिछले साल 5 जून को केंद्र सरकार द्वारा 3 कृषि कानून लाए गए थे। कोरोना लॉकडाउन की आड़ में सरकार ने देश की जनता पर तीन कानून थोपे, जिसका किसान व आम नागरिकों ने खुलकर विरोध किया। इन कृषि कानूनों का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ। दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 6 महीनों से ज्यादा समय से विशाल आंदोलन चल रहा है।

माकपा जिला सचिव सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार की कॉर्पोरेट पक्षीय मानसिकता और किसान मजदूरों के शोषण की नीतियों को इस आंदोलन ने बेनकाब कि‍या है। 5 जून 1974 को जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। अंत में केंद्र सरकार को उसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा था। किसानों ने केंद्र सरकार को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि देश की जनता को यह कानून मंजूर नहीं है। केंद्र सरकार यदि कृषि बिल वापस नहीं लेती है, तो इसका खामियाजा मोदी सरकार को भुगतना पड़ेगा। केंद्र सरकार की ओर से आंदोलनकारी किसान संगठनों से बातचीत शुरू कर इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी करने की मांग की गई है। मौके पर ललन राम, दिनेश उरांव, पचु उरांव मौजूद थे।