रांची। छठी जेपीएससी के मामले में झारखंड हाई कोर्ट में 7 जून को अहम फैसला आ सकता है। इस मामले में प्रार्थी और राज्य सरकार की ओर से फरवरी में बहस पूरी कर ली गई है। जेपीएससी ने भी अपना पक्ष रख दिया है। लगातार एक हफ्ते तक बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था। प्रार्थी की ओर से सीनियर वकील व पूर्व महाधिवक्ता अजित कुमार और शुभाशीष राशिक सोरेन ने पक्ष रखा।
विदित हो कि छठी जेपीएससी के परीक्षा परिणाम को लेकर झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में सुनवाई चली है। प्रार्थी और राज्य सरकार की ओर से बहस पूरी कर ली गई है। दिलीप कुमार सिंह व राहुल कुमार सहित 17 अन्य लोगों ने छठी जेपीएससी परीक्षा को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। राहुल कुमार वाद में 965 के संशोधित रिजल्ट को चैलेंज किया गया है, जिसपर सबकी निगाहें टिकी है।
इसके अलावे प्रार्थियों की ओर से अदालत को बताया गया कि जेपीएससी ने अंतिम परिणाम जारी करने में कई गड़बडियां की हैं। पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) में अभ्यर्थियों को सिर्फ क्वालिफाइंग मार्क्स लाना था। उसका अंक कुल प्राप्तांक में नहीं जोड़ा जाना था, लेकिन जेपीएससी ने इसे कुल प्राप्तांक में जोड़ दिया। इसके अलावा सभी पेपर में अलग-अलग निर्धारित न्यूनतम अंक लाना अनिवार्य था। हालांकि जेपीएससी ने दोनों पेपर के अंक को जोड़कर मेरिट लिस्ट बनाई है। इसके चलते ऐसे अभ्यर्थियों का चयन हो गया है, जो एक पेपर निर्धारित न्यूनतम अंक भी नहीं लाए हैं।
प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि वे आरक्षित श्रेणी से आते हैं, लेकिन उनका चयन अनारक्षित श्रेणी में किया गया है। इसके चलते कैडर चुनने में प्राथमिकता नहीं मिली। उन्हें आरक्षित श्रेणी में भेजते हुए प्राथमिकता के आधार पर कैडर चुनने का अवसर दिया जाए। जेपीएससी अभ्यर्थी अनिल पन्ना और राज कुमार मिंज व अनेक प्रार्थियों की ओर कहा गया कि इन गड़बड़ियों को देखते हुए छठी जेपीएससी के अंतिम परिणाम को रद्द कर देना चाहिए।