रांची। कैलेंडर बता रहा था 2 फरवरी, 2020। हेमंत सोरेन के झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने का वह 36वां दिन था। उनके ट्विटर हैंडल से सभी जिले के उपायुक्त को मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। ट्वीट में उन्होंने लिखा था, ‘झारखंड से मानव तस्करी के कलंक को मिटाना सरकार की प्राथमिकता है। मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।‘
यह झारखंड की गरीब आबादी के लिए परिवर्तन और उनके उज्ज्वल भविष्य के युग का शुभारंभ था। तब से लेकर अब तक राज्य सरकार मानव तस्करी रोकने और प्रवासी श्रमिकों के मान-सम्मान के लिए लगातार प्रयासरत है।
प्रवासी श्रमिक और लापता महिलाओं की हुई वापसी
मुख्यमंत्री को कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के देवरिया में फंसे 33 प्रवासी श्रमिकों के बंधक होने का पता चला। मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया और तुरत अधिकारियों को उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया। अधिकारी हरकत में आये और 33 प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित झारखंड वापस लाया गया। देवरिया स्थित ईट भट्ठे से लापता हुई दो महिला श्रमिकों को भी वापस रांची ले आया गया। ये महिलाएं लोहरदगा की थीं। ईंट भट्ठे के संचालक ने दोनों महिलाओं को अगवा कर लिया था। इनसे संबंधित जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने उन महिलाओं को वापस लाने के निर्देश दिए थे। संक्रमण की दूसरी लहर में दुमका के जामा ब्लॉक के 26 प्रवासी मजदूर नेपाल में फंसे हुए थे। उन्होंने सरकार से मदद मांगी। मुख्यमंत्री ने मामले में संज्ञान लेते हुए भारत में नेपाल के दूतावास से संपर्क किया। उनसे नेपाल-भारत सीमा पर उनकी यात्रा की व्यवस्था करने का अनुरोध किया। श्रमिकों को वापस लाने के लिए एक एम्बुलेंस के साथ एक विशेष बस को नेपाल-भारत सीमा पर भेजा गया। सभी का सुरक्षित दुमका वापसी सुनिश्चित हुआ।
मानव तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान
7 नवंबर, 2020 को 45 लड़कियों को बचाया गया। उन्हें दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया। फरवरी, 2021 में दिल्ली से 12 लड़कियों और दो लड़कों सहित 14 नाबालिगों को छुड़ाया गया। इन लड़कियों को रोजगार के बहाने हायरिंग एजेंसियों के जरिए दिल्ली ले जाया गया था। 24 जून, 2021 को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में रांची रेलवे स्टेशन और बिरसा मुंडा हवाई अड्डे से लगभग 30 नाबालिग लड़कियों और लड़कों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया। इन सभी को तस्करी कर दिल्ली ले जाया जा रहा था। जून, 2021 में ही मुख्यमंत्री को तमिलनाडु के तिरुपुर में फंसे 36 आदिवासी लड़की/महिलाओं के बारे में पता चला। उनमें से कई लोगों ने कोविड-19 की स्थिति के कारण अपनी नौकरी खो दी थी। उनके पास घर लौटने का कोई साधन नहीं बचा था। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन सभी को ट्रेन के माध्यम से वापस दुमका लाया गया।
सरकार को है सभी का ध्यान
देश भर से लौटे या मुक्त हुए मानव तस्करी के शिकार लोग या प्रवासी श्रमिकों को ना केवल सरकारी खर्च पर वापस लाया जा रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं से आच्छादित भी किया जा रहा है। उनके कौशल के आधार पर उनके जिले में उन्हें काम उपलब्ध कराया गया है। मानव तस्करी से छुड़ाई गई बच्चियों के पुनर्वास के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। उनके उज्ज्वल भविष्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक 2,000 रुपये का जीवनयापन खर्च, मुफ्त शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मानव तस्करी के मामले में बदनाम जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
श्रमिकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड से मानव तस्करी के कलंक को मिटाना सरकार की प्राथमिकता है। श्रमिकों के अधिकारों का हनन नहीं होगा। झारखंड के ग्रामीण इलाकों में मानव तस्करी पर नजर रखने के लिए राज्य भर में विशेष महिला पुलिस ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी। साथ ही कोरोना संक्रमण से प्रभावित बच्चों की स्थिति का किसी को फायदा नहीं उठाने दिया जाएगा। हम अपने बच्चों की देखभाल करेंगे। कोई भी बच्चा किसी भी प्रकार के अनुचित साधनों का शिकार नहीं होगा। सरकार जल्द ही ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए एक विस्तृत योजना लेकर आएगी, जिन्होंने दुर्भाग्य से अपने माता-पिता को खो दिया है।