कोलकाता। विधानसभा चुनाव के बाद भड़की हिंसा को न रोक पाने के आरोपों से घिरीं ममता बनर्जी ने अब यूपी का जिक्र कर बीजेपी पर इशारों में निशाना साधा है। ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि गंगा नदी में यूपी से शव बहकर आ रहे हैं और इनके कोरोना संक्रमित होने का खतरा है। ममता बनर्जी ने कहा, ‘नदी में बहते हुए यूपी से बंगाल तक शव आ रहे हैं। इनके कोरोना संक्रमित होने का भी खतरा है। हमने ऐसे कई शवों को देखा है। इससे नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है। हम नदी से शवों को निकाल रहे हैं और उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं।’ बता दें कि बंगाल में हिंसा के आरोपों से घिरीं ममता अकसर यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती रही हैं।
पिछले दिनों एक पत्रकार की मौत के मामले में भी उन्होंने यूपी की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया था। इससे पहले चुनाव के दौरान भी उन्होंने कहा था कि यूपी के लोग बंगाल में आकर माहौल को खराब कर रहे हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल के लिए सोमवार का दिन बड़े घटनाक्रमों का रहा है। एक तरफ केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी के सलाहकार बने राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय के खिलाफ एक्शन का फैसला लिया है और उनसे लिखित में सफाई मांगी है। वहीं दूसरी तरफ कलकत्ता हाई कोर्ट ने चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए मानवाधिकार आयोग को समिति के गठन का आदेश देने पर रोक से इनकार कर दिया है। यही नहीं आयोग की ओर से 7 सदस्यों की एक कमिटी गठित भी कर दी गई है।
हिंसा की जांच के आदेश को चुनौती देने की तैयारी में टीएमसी
हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर टीएमसी ने आगे भी जवाब देने की बात कही है। टीएमसी के सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल सरकार कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश का परीक्षण करेगी और उसके बाद जरूरी कदम उठाएगी।’ इस बीच गवर्नर जगदीप धनखड़ ने भी ममता सरकार पर एक बार फिर से निशाना साधा है। उत्तर बंगाल के एक सप्ताह के दौरे पर निकले जगदीप धनखड़ ने कहा, ‘मैं हैरान हूं कि चुनाव खत्म होने के 7 सप्ताह के बाद भी इस तरह के हालात को नजरअंदाज किया गया है। आजादी के बाद पहली बार मैंने चुनाव को लेकर ऐसी हिंसा देखी है।’
गवर्नर ने कहा कि चुनाव तो 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में हुए थे, लेकिन अकेले बंगाल में ही इस तरह के हालात क्यों पैदा हुए। आखिर बंगाल ही खून में क्यों डूबा हुआ है। आज लोग डर के मारे कुछ बोल भी नहीं रहे हैं। धनखड़ ने कहा, ‘मैं जहां भी जाता हूं, वहां 3 सवाल पूछता हूं: आप पुलिस के पास क्यों नहीं गए? क्या प्रशासन से कोई आपके पास आया? कोई मीडियाकर्मी आपके पास आया? वे लोग एक ही बात कहते हैं कि जब पुलिस थाने में पीड़ित बनकर गए तो उलटे अपराधी के तौर पर बाहर आए।’