कोरोना की त्रासदी में गडकरी बने तारणहार

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नागपुर। कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में काफी कहर ढाया था। इसके चलते अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन की किल्लत हो रही थी। वहीं रेमडेसिविर और दवाइयों की कालाबाजारी शुरू हो गई थी लेकिन अब नागपुर के हालात में काफी सुधार हुआ है। इस सुधार के लिए नागपुर के सांसद और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अहम भूमिका अदा की है। नागपुर में 16 मार्च के बाद कोरोना की दुसरी लहर ने कहर बरपाना शुरू किया।

इसके चलते जिले में प्रतिदिन 5 से 6 हजार लोग पॉजिटिव आने लगे। वहीं कोरोना से रोज 70 से 100 मौतें होने लगीं। राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार और उसके मंत्री ऐसी स्थिति में काफी हताश नजर आए। राज्य के ऊर्जा मंत्री एवं नागपुर जिले के प्रभारी मंत्री नितिन राऊत प्रतिदिन एक प्रेसनोट जारी कर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान लेते थे। नतीजतन किससे मदद मांगें यह सवाल नागपुर की जनता को परेशान कर रहा था। ऐसे में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने स्वतः संज्ञान लेकर मुश्किलों से दो-दो हाथ करना प्रारंभ किया। गडकरी ने अन्य राज्यों से बात कर सबसे पहले नागपुर और विदर्भ के लिए ऑक्सीजन का प्रबंध किया। गडकरी के आह्वान पर दुबई में रहने वाले डॉ. संजय पैठनकर ने नागपुर के लिए चीन से खरीद कर ऑक्सीजन एयर लिफ्ट करवाया।

वहीं ऑक्सीजन की समस्या के साथ-साथ गडकरी ने रेमडेसिविर दवाई की कालाबाजारी रोकने के लिए राज्य में इस इंजेक्शन के उत्पादन को मंजूरी दिलवाने में अहम भूमिका अदा की। गडकरी ने “फुड ऍन्ड ड्रग्ज” विभाग से 3 दिनों में अनुमति प्रक्रिया पूरी करवाई। इसके चलते वर्धा शहर में जेनेटिक लाइफसाइंसेज ने रेमडेसिविर का प्रोडक्शन प्रारंभ किया। इस लैब में प्रतिदिन 30 हजार शिशियों का उत्पादन होने लगा। नतीजतन रेमडेसिविर की किल्लत और कालाबाजारी खत्म हुई। गडकरी के प्रयासों से ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और अस्पतालों में बेड कि सुविधाएं उपलब्ध हुईं। एक समस्या से निजात पाने की कगार पर शहर खड़ा ही था कि म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस नाम का दूसरी समस्या उत्पन्न हो गई। ब्लैक फंगस ने मरीजों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया।

ब्लैक फंगस पर एम्फोटेरिसीन-बी नामक इंजेक्शन असरदार होता है। गडकरी की पहल पर वर्धा के जेनेटिक लाइफसाइसेंज को खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने एम्फोटेरिसीन-बी इजेक्शन बनाने की अनुमति दी है। एम्फोटेरिसीन-बी इंजेक्शन की कीमत 7 हजार रुपये है और एक मरीज को लगभग 40 से 50 इंजेक्शन्स की जरूरत होती है। महंगे दामों के चलते एम्फोटेरिसीन-बी इंजेक्शन आम आदमी की पहुंच के बाहर था लेकिन गडकरी ने वर्धा में इस इंजेक्शन के दाम 1200 रुपये के करीब निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। अगले 15 दिनों में के जेनेटिक लाइफसाइंसेज प्रतिदिन 20 हजार इंजेक्शन का प्रॉडक्शन करेगा। 

वरिष्ठ पत्रकार रवी गुलकरी ने कहा कि विदर्भ में दर्जनों विधायक और सांसद हैं लेकिन जिस शिद्दत के साथ गडकरी ने नागपुर को कोरोना लहर में सहायता मुहैया कराई है वह केवल पिता ही कर सकता है। बतौर गुलकरी परिवार का मुखिया जिस तरह से सब चीजों का खयाल रखता है ठीक उसी तरह गडकरी ने अपने परिवार का ध्यान रखा। नतीजतन कोरोना मामलों में 75 फीसदी की कमी आई है।