घाना और यमन भेजा गया तामिलनाडु का ‘विलेज राइस’

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गैर बासमती चावल के निर्यात में 146 प्रतिशत की बढ़ोतरी

तामिनाडु। भारत के गैर बासमती चावल के निर्यात को भारी प्रोत्साहन देते हुए एक स्टार्ट-अप उदय एग्रो फार्म ने 29 मई को तमिलनाडु के तंजावर जिला के कुंभकोणम से पेटेंट सुरक्षित ‘विलेज राइस’ की 4.5 एमटी की दो खेप भेजी। इस चावल को हवाई और समुद्री मार्ग से आज घाना व यमन को निर्यात किया गया।

प्रोटीन, फाइबर और कई खनिजों से संपन्न ‘विलेज राइस’ को सीधे तंजावर के किसानों से खरीदा गया, जिसे तमिलनाडु के चावल के कटोरे के रूप में भी जाना जाता है। एपिडा से सहायता प्राप्त उदय एग्रो फार्म की आने वाले महीनों में बड़े स्तर पर ‘विलेज राइस’ के निर्यात की योजना है।

वर्ष 2020-21 के दौरान, गैर बासमती चावल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। अप्रैल-मार्च, 2021 के दौरान 35,448 करोड़ रुपये (4796 मिलियन डॉलर) के गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ। अप्रैल-मार्च, 2020 में 14,400 करोड़ रुपये (2020 मिलियन डॉलर) का निर्यात हुआ था। इस प्रकार, 2020-21 में गैर बासमती चावल के निर्यात में रुपये में 146 प्रतिशत और डॉलर में 137 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

इस महीने की शुरुआत में पारादीप इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल, ओडिशा से वियतनाम के लिए चावल की एक खेप का निर्यात किया गया था। हाल के वर्षों में यह पहली बार था कि पारादीप बंदरगाह से गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया था।

मार्च, 2021 में असम से ‘लाल चावल’ की पहली खेप अमेरिका को निर्यात की गई थी। आयरन के लिहाज से संपन्न ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में पैदा होता है, जिसमें किसी रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। चावल की इस किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो असमिया खाने का एक अभिन्न अंग है।

काकीनाडा, विशाखापट्टनम, चेन्नई, मुंद्रा और कृष्णापटनम जैसे भारत के कई बंदरगाहों से अफ्रीका और एशियाई देशों को गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ है। पारादीप जल्द ही चावल का निर्यात करने वाले देश के प्रमुख बंदरगाह के रूप में उभरेगा।

चावल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी ऐसे दौर में हुई है, जहां वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी के दौरान कई कमोडिटीज की आपूर्ति बाधित हुई है। चावल का निर्यात बढ़ने का श्रेय सरकार को जाता है, जिसने कोविड-19 से संबंधित सुरक्षा सावधानियों का ध्यान रखते हुए चावल का निर्यात सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं।

एपिडा दुनिया में भारत के गैर बासमती चावल के निर्यात की संभावनाओं के दोहन के लिए किसानों, उद्यमियों, निर्यातकों और आयातकों जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है।

एपिडा ने मूल्य श्रृंखला में विभिन्न हितधारकों के साथ भागीदारी के माध्यम से चावल के निर्यात को बढ़ावा दिया है। सरकार ने एपिडा की अगुआई में चावल निर्यात प्रोत्साहन मंच (आरईपीएफ) की स्थापना की है। आरईपीएफ में उद्योग, निर्यातकों, एपिडा, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों और पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सहित प्रमुख चावल उत्पादन राज्यों के कृषि निदेशकों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।