पलामू। कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमित मरीजों को सबसे अधिक सांस लेने में कठिनाई आ रही है। इसके बाद उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत महसूस हो रही है। ऐसे में प्रोनिंग की प्रक्रिया को अपनाकर ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाया जा सकता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित एवं क्लिनिकली प्रमाणित है। यह जानकारी उपायुक्त शशि रंजन ने दी है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीज और होम आइसोलेशन में रह रहे लोग प्रोनिंग की प्रक्रिया अपनाएं। इससे उनका ऑक्सीजन लेबल बढ़ेगा।
क्या होती है प्रोनिंग ?
● प्रोनिंग एक तरह की प्रक्रिया है, जिससे मरीज अपना ऑक्सीजन लेवल खुद ही मेनटेन कर सकते हैं।
● प्रोन पोजीशन ऑक्सीजनेशन तकनीक 80 फीसदी तक कारगर है।
● यह प्रक्रिया मेडिकली स्वीकार्य है। इसे पेट के बल लेटकर पूरी करना होता है।
● इससे सांस लेने में सुधार होता है। ऑक्सीजन लेवल में सपोर्ट मिलता है।
कब करें यह प्रक्रिया
● इस प्रक्रिया को तब अपनाना है, जब कोरोना मरीज को सांस लेने में परेशानी हो रही हो। ऑक्सीजन लेवल 94 से कम हो जाए।
● अगर आप होम आइसोलेशन में हैं तो समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें।
● बुखार, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर भी समय-समय पर मापते रहें।
● समय पर सही प्रक्रिया के साथ प्रोनिंग कई लोगों की जान बचाने में मददगार है।
कैसे करें
● प्रोनिंग के लिए लगभग चार से पांच तकियों की जरूरत होती है।
● सबसे पहले मरीज को बिस्तर पर पीठ के बल लेटना होता है। इसके बाद गर्दन के नीचे एक तकिया रखें। फिर एक या दो तकिए छाती और पेट के नीचे बराबर रखें। दो तकिए पैर के पंजे के नीचे रखें।
● 30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक इस पोजीशन में लेटे रहने से मरीज को फायदा मिलता है।
● ध्यान रहे हर 30 मिनट से दो घंटे में मरीज के लेटने के पोजिशन को बदलना जरूरी है।
इस प्रक्रिया के बाद मरीज के फेफड़ा में ऑक्सीजन आसानी से पहुंचता रहता है। ऑक्सीजन का लेवल भी नहीं गिरता है।
प्रोनिंग करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें
● खाना खाने के तुरंत बाद ही प्रोनिंग की प्रक्रिया नहीं करें।
● इसे 16 घंटों तक रोजाना कई चक्रों में कर सकते हैं, जिससे मरीज को बहुत फायदा होगा
● इस प्रक्रिया को करते वक्त शरीर के घाव और चोटों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है
● अगर आप प्रेग्नेंट हैं, गंभीर कॉर्डिएक कंडीशन है, तो इसे नहीं करें। ● शरीर में स्पाइनल से जुड़ी कोई समस्या है या फ्रैक्चर हो तो इस प्रक्रिया को नहीं अपनाएं।