शिक्षकों को भी अन्‍य कर्मचारियों की तरह मिले 33 दिनों का उपार्जित अवकाश

झारखंड
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  • कोविड ड्यूटी करने वालों को प्रोत्साहन राशि मिले, 50 लाख रुपए का बीमा हो

रांची। शिक्षकों को भी अन्‍य कर्मचारियों की तरह 33 दिनों का उजार्जित अवकाश दिया जाए। कोविड ड्यूटी में लगे शिक्षकों का 50 लाख रुपये का बीमा हो। उन्‍हें भी प्रोत्‍साहन राशि दी जाए। उक्‍त मांगे राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, झारखंड प्रदेश (प्राथमिक प्रकोष्ठ) ने की है। इस संबंध में संगठन ने शिक्षा सचिव, प्राथमिक शिक्षा निदेशक के साथ जेसीईआरटी निदेशक को ईमेल से ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में राज्य की शिक्षा एवं शिक्षक हित में कुछ अन्‍य बिंदुओं पर भी सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया है।

महासंघ के संयोजक आशुतोष कुमार, सह संयोजक विजय बहादुर सिंह, प्रदेश मीडिया प्रभारी अरुण कुमार दास ने कहा कि सेवा शर्तों के अनुरूप प्राथमिक शिक्षकों को प्रतिवर्ष ग्रीष्मावकाश दिए जाते रहे हैं। छात्रों के सर्वांगीण विकास एवं कोविड महामारी के कारण उनकी शिक्षा में गंभीर गिरावट को न्यूनतम करने और उसे पाटने के लिए पूर्व की भांति ऑनलाइन माध्यम से उपलब्ध साधनों के साथ प्राथमिक शिक्षकों से कार्य करने की अपील जेसीईआरटी निदेशक ने गर्मी छुट्टी के दौरान की है।

इस निमित राज्य के सभी प्राथमिक शिक्षक अपने-अपने विद्यालय के छात्र-छात्राओं का वर्गवार whatsapp group बनाकर, digisaath, यूट्यूब, चैनल्स, स्वयं द्वारा बनाए गए शक्षणिक वीडियो, जूम क्लास, व्यक्तिगत स्तर पर छात्रों एवं अभिभावकों के साथ नित संपर्क स्थापित करते हुए फीडबैक और रिपोर्टिंग कार्य मुस्तैदी से करते आ रहे हैं। उपरोक्त कार्यों का संपादन करने में शिक्षकों को सामान्य कार्यदिवस से कहीं ज्यादा समय देने पड़ते हैं, जो यथार्थ है।

पदधारियों ने कहा है कि प्राथमिक शिक्षकों को प्रतिवर्ष मिलने वाले ग्रीष्मावकाश उनकी सेवा शर्तों के अनुरूप उनके द्वारा अर्जित अवकाश से विकलित किए जाते हैं। इसके कारण शिक्षकों को वर्ष में मात्र 14 दिनों का ही उपार्जित अवकाश मिलता है। राज्य के अन्य कर्मचारियों को वर्ष में 33 दिनों का उपार्जित अवकाश देने का प्रावधान है। महासंघ ने सरकार से आग्रह कि‍या है कि झारखंड सेवा संहिता के नियम 65 (5) में स्थापित नियमों के अनुरूप ग्रीष्मावकाश की छुट्टी निरस्त करते हुए शिक्षकों को भी राज्य के अन्य कर्मचारियों की भांति 33 दिनों का उपार्जित अवकाश देने संबंधी आदेश निर्गत किये जाए, ताकि शिक्षकों के साथ न्याय हो सके।

महासंघ ने कहा कि वर्तमान कोविड वैश्विक महामारी एवं प्रकोप से निपटने के लिए राज्य के स्वास्थ्य कर्मी एवं पुलिस कर्मियों के साथ राज्य के प्रत्येक आदेशों के अनुरूप दिए गए तमाम कार्यों को शिक्षक मुस्तैदी से कोरोना योद्धा के रूप में करते आ रहे हैं। इसकी वजह से हजारों शिक्षक संक्रमित हो गये हैं। कई शिक्षकों की मौत भी हो गई है। बावजूद इसके सरकार द्वारा कोरोना संबंधी कार्यों में लगाये गये शिक्षकों को राज्य के अन्य कर्मचारियों की भांति ना कोई प्रोत्साहन राशि देने और ना ही बीमा करने की घोषणा की गई है। यह सरकार की न्यायप्रियता एवं कर्मचारियों के साथ समान व्यहवार को दर्शाने में बड़ा बाधक के रूप में दृष्टिगोचर कराता है।

महासंघ ने सरकार से राज्य की शिक्षा एवं शिक्षक हित में तथ्यों पर व्यवहारपरक एवं संवेदनशीलता पूर्वक विचार करते हुए शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश को निरस्त करते हुए 33 दिनों का उपार्जित अवकाश देने का आदेश जारी करने की मांग की है। कोरोना कार्यों में लगाये गये शिक्षकों को कोरोना योद्धा घोषित कर उन्हें भी प्रोत्साहन राशि देने और उनका 50 लाख रुपए का बीमा की मांग भी की है।