रांची। कोरोना महामारी के इस लॉकडाउन पीरियड में लोग परेशान हैं। घरों में रहने की वजह से उन्हें कई तरह की मानसिक परेशानी हो रही है। विशेषज्ञ और डॉक्टर लगातार शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मेंटल हेल्थ यानी मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की बात कह रहे हैं। मानसिक तौर पर खुद को मजबूत बनाए रखने के लिए अपने आपको कलात्मक और रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखने की सलाह दी जा रही है। साथ ही, सोशल डिस्टेंसिंग के इस दौर में अपने दोस्त, परिजन से वीडियो कॉल के जरिए बात करते रहने की सलाह भी दी जा रही है। हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से ‘मेंटल हेल्थ अवेयरनेस वीक’ मनाया जाता है। कल यानी 24 मई को ‘वर्ल्ड सिजोफ्रेनिया डे’ मनाया जाता है। सिजोफ्रेनिया मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसका असर व्यक्ति के व्यवहार और भावनाओं पर पड़ता है। इस बीमारी में मरीज अपने मन के भाव चेहरे पर प्रकट नहीं कर पाता है।
सिजोफ्रेनिया के लक्षण
डिलूजन (Delusion ) : इसमें व्यक्ति को लगता है कि कोई उसे मारना चाहता है। उसके खिलाफ कोई साजिश चल रही है। सभी लोग मिले हुए हैं।
हल्यूसनेशन (Hallucinations) : कोई कुछ नहीं बोलता, तो भी मरीज को आवाजें सुनाई पड़ती है। वह कान लगाकर बातें सुनने की कोशिश करने लगता है। इस बीमारी में व्यक्ति की भावनाएं खत्म होने लगती है। उन्हें दुनिया और यहां तक कि परिवार से भी मतलब नहीं रह जाता। उनके चेहरे पर न्यूट्रल भाव रहता है। ना दुख ना ही खुशी। वे सामाजिक रूप से लोगों से मिलना-जुलना पसंद नहीं करते। अकेलापन अच्छा लगने लगता है। घूमने की इच्छा खत्म होने के अलावा किसी काम में मन नहीं लगता। ऐसे मरीज अकेले में बातें करते हैं। ब्रश करने, नहाने जैसी सामान्य दिनचर्या भी भूल जाते हैं। ऐसे मरीजों को नशे की भी लत लग जाती है। दिमाग में केमिकल बदलाव के कारण यह बीमारी होती है।
अगर इस बीमारी केलक्षणों को अनदेखा करते हुए मरीज को सही समय पर इलाज नहीं दिलाया जाए तो यह बीमारी इस हद तक बढ़ जाती है कि व्यक्ति अपना ही दुश्मन बन जाता है। खुद को मारने का प्रयास करने लगता है। अगर व्यक्ति को समय पर इलाज ना मिले तो उसका फोकस खत्म हो जाता है। पढ़ाई, जॉब, कैरियर, फैमिली किसी भी चीज को लेकर वह प्लानिंग या काम कर ध्यान नहीं दे पाता है। इससे उसकी पर्सनल लाइफ लगभग खत्म हो जाती है। मरीज को यदि सही समय पर इलाज मिले तो व्यक्ति चाहे किसी भी प्रोफेशन से जुड़ा हो, वह दवाइयां लेते हुए अपने काम और जीवन को सामान्य तरीके से जी सकता है।
सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त मरीज को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए
क्या करना चाहिए
- सामान्य आबादी के रूप में COVID से संक्रमित होने से बचाव के टीके वैक्सीन अवश्य लेना चाहिए।
- सामान्य आबादी के रूप में COVID से संक्रमित होने पर उपचार प्राप्त करना चाहिए।
- मनोरोग दवाओं को जारी रखना चाहिए। चाहे वे COVID से संक्रमित हों या नहीं।
- तनाव प्रतिक्रियाओं की आशा करें और उनके बारे में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों को सूचित किया जाए।
- मीडिया एक्सपोजर को सीमित करें, क्योंकि तनावपूर्ण स्थिति के प्रसारण के लिए अति-जोखिम स्थिति और खराब हो सकती है।
- सिज़ोफ्रेनिया विशेष रूप से मधुमेह में सहरुग्णताएं आम हैं, इसलिए इसे तुरंत प्रबंधित करने की आवश्यकता है।
- नींद की स्वच्छता बनाए रखना चाहिए।
- स्वस्थ आहार की सलाह दी जानी चाहिए
- प्रारंभिक चेतावनी के संकेत और विश्राम के लक्षणों को अभिभावकों को समझाया जाना चाहिए।
- अनावश्यक संपर्क से बचने के लिए नियमित अनुवर्ती कार्रवाई के लिए टेली-परामर्श की सलाह दी जा सकती है।
क्या नहीं करना चाहिए
- अनावश्यक रूप से अलग-थलग न करें जो लक्षणों को औ रखरखाव कर सकता है।
- COVID से संक्रमित होने पर मनोरोग दवाओं को बंद नहीं करें।
- किसी विशेषज्ञ की सलाह के बिना COVID के रोगनिरोधी उपचार का उपयोग नहीं करें।
- रोगी के प्रति आलोचनात्मक टिप्पणियों से बचना चाहिए।
- किसी पेशेवर की सलाह के बिना चल रही मनश्चिकित्सीय दवाओं की खुराक में कमी या वृद्धि नहीं करें।
- नशे के सेवन से बचना चाहिए।
(जनहित में इसे इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी की झारखंड कमेटी ने जारी किया है।)