प्रख्यात साहित्यकार, पत्रकार होमेन बरगोहाईं का निधन

अन्य राज्य देश
Spread the love

गुवाहाटी। असम के जानेमाने पत्रकार व साहित्यकार होमेन बरगोहाईं अब नहीं रहे। राज्य की सर्वोच्च साहित्यिक संस्था असम साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष रहे बरगोहाईं ने गुवाहाटी के जीएनआरसी अस्पताल में बुधवार की सुबह 06.58 बजे अंतिम सांस ली। बरगोहाईं  का निधन कोरोना के चलते हुआ है। हाल ही में कोविड-19 से उबरने के बाद वे घर लौटे थे।

होमेन बरगोहाईं को  उनके असमिया उपन्यास पिता पुत्र के लिए 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी अन्य उल्लेखनीय साहित्यिक कृतियों में- साउदोर पुतेके नाओ मेली जाये, हलोदिया सोराई बौधन खाई, अस्तराग, सुबाला, अटमानुक्सन आदि प्रमुख हैं। 

असम के साहित्यिक और बौद्धिक क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त बरगोहाईं अपनी मृत्यु तक लोकप्रिय असमिया दैनिक ‘नियामिया बार्ता’ के मुख्य संपादक के रूप में सेवारत थे। उनका जन्म 07 दिसम्बर, 1932 को लखीमपुर जिला के ढकुआखाना में हुआ था। स्कूलिंग के बाद बरगोहाईं ने राज्य के प्रसिद्ध कॉटन कॉलेज में दाखिला लिया और ग्रैजुएशन किया।

पत्रकारिता में अपना करियर शुरू करने से पहले वे उपन्यासकार, निबंधकार के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे और  साथ ही संक्षिप्त अवधि के लिए असम सिविल सेवा (एसीएस) अधिकारी के रूप में भी काम किया था। बरगोहाईं ने पहले असमिया साप्ताहिक समाचार पत्र नीलांचल का संपादन किया और बाद में उन्होंने साप्ताहिक नागरिक का संपादन किया। बाद में उन्होंने बंगली दैनिक समाचार पत्र आजकल के लिए पूर्वोत्तर संवाददाता के रूप में कार्य किया। बरगोहाईं असम के दो प्रमुख अखबारों असम बानी और अमार असोम के संपादक भी रहे। 

बरगोहाईं के निधन से राज्य में शोक की लहर दौड़ गयी है। उनके निधन पर मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि आज असमिया जाति ने अपना अभिभावक खो दिया है। असम के बौद्धिक आकाश में सबसे प्रतिभाशाली ज्योति, असम की साहित्यिक दुनिया को अनूठी रचनाओं से समृद्ध करने वाले प्रसिद्ध पत्रकार होमेन बरगोहाईं के निधन से हमारे बीच एक बहुत बड़ा शून्य पैदा हो गया। मुख्यमंत्री ने विदेही आत्मा की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया है। राज्य की अन्य कई हस्तियों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।