दो पहिया वाहनों के लिए ई-पास की अनिवार्यता का शुरू हुआ विरोध

झारखंड
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आनंद कुमार सोनी

लोहरदगा। जिले में दो पहिया वाहनों के लिए ई-पास की अनिवार्यता का विरोध शुरू हो गया है। सामाजिक विचार मंच ने इसकी खिलाफत की है। मंच ने कहा कि दो पहिया के लिए ई-पास लागू करने का फैसला उचित नहीं लगता है। कोरोना रोकने के लिए सख्ती जरूरी है, किंतु सरकार को अंतर जिला के लिए ही पास होना जरूरी करना चाहिए। क्योंकि सभी लोगों द्वारा पास बनाना संभव नहीं है। सभी लोगों के पास एंड्राइड मोबाइल, कंप्यूटर आदि नहीं है। ना ही पास बनाने की पूरी जानकारी है।

मंच ने कहा कि पूरे राज्य में खाद्यान्न सामग्री एवं आवश्यक सेवाओं वाली चीजों को छोड़कर सभी दुकानें बंद है तो फिर मोटरसाइकिल के लिए ई-पास की क्या आवश्यकता है। इससे गरीब मजदूरों पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। सब्जी, दवाई आदि लेने के लिए लोग जब अपने घरों के आसपास निकलेंगे, तब उनको परेशानी का सामना करना पड़ेगा। सरकार यह सुनिश्चित करें कि अनावश्यक रूप से लोग बाहर नहीं निकले। हालांकि दोपहिया वाहनों को जिला के अंदर बिना पास के चलाने की अनुमति देनी चाहिए। दूसरी ओर स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा सप्‍ताह के चलते सारे उद्योग-धंधे, कारोबार चौपट हो चुके है। ऐसी स्थिति में सरकार को कर्ज वसूली पर भी रोक लगानी चाहिए।

मंच ने कहा कि झारखंड के 70 फीसदी लोग गांव में रहते है। यहां संसाधन की कमी है। इंटनेट की दिक्कत है। जब गांव के लोग ई-पास बनवाने के लिये किसी साईबर ऑफिस जाएंगे, उस बीच प्रशासन उनको रोक देगी। अब E-pass नि:शुल्‍क है। उसे बनाने के लिए साइबर ऑफिस वाले 50 से 100 रुपये चार्ज करंगे। वे e-pass के नाम से हजारों कमाएंगे। अच्छे जानकार स्वयं ई-पास बना लेंगे, लेकिन गांव कस्बा के लोग के पास स्‍मार्ट मोबाईल नहीं है। तकनीकी ज्ञान या इंटरनेट नहीं है। वैसे लोग क्या करेंगे। नियमों का पालन कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है। जिनके पास ई-पास नहीं है, वैसे लोगों पर दबाव बनाया जा रहा है।