जमशेदपुर में जुगसलाई मक डंप का किया गया कायाकल्प

झारखंड
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जमशेदपुर। जुगसलाई मक डंप (जेएमडी) भारत के झारखंड के जमशेदपुर शहर में स्थित है। शहर की आबादी 13.4 लाख है। जेएमडी 62 एकड़ की भूमि में फैला हुआ है। समुद्र तट से इसकी औसत ऊंचाई 133 से लेकर 188 मीटर है, जिसमें कई स्लोप, टेरेस और लोकेशन हैं। डंपिंग के कारण यह काफी असमतल है। यहां वनस्पतियों की वृद्धि के लिए जरूरी कार्बनिक पदार्थ नदारद हैं। जेएमडी इस खूबसूरत स्टील सिटी के लिए न केवल एक किरकिरी था, बल्कि जमशेदपुर के लोगों के लिए पर्यावरणीय, सुरक्षा और स्वास्थ्य खतरा भी पैदा कर रहा था।

जेएमडी की मिट्टी की स्थितियों और विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, मक डंप के जैविक पुनःनिर्माण के लिए ढलान स्थिरीकरण और वनस्पति विकास के लिए एक व्यापक पुनर्वास योजना पर काम किया गया। डंप के ढलान पर 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल गैर-सिंथेटिक जियोटेक्सटाइल कॉयर मैट और कॉयर लॉग के साथ इको-रेस्टोरेशन अप्रोच लागू किया गया। जियोटेक्सटाइल कॉयर मैट डालने से पहले और बाद में नियो-पीट, टॉप सॉयल और सूक्ष्म पोषक तत्वों वाले खाद के एक अनुपात के साथ कम-से-कम 5 सेंटीमीटर मोटाई वाले स्लरी रूप में उपजाऊ माध्यम का अनुप्रयोग किया गया, जिसके बाद घास और झाड़ियांं को रोपा गया। इसलिए, इस तरह की मिट्टी संरचना पर एक सस्टेनेबल ग्रीन कवर हो, इसके लिए पानी का प्रतिधारण बढ़ाने वाली एक ऐसी सतह का निर्माण करना आवश्यक था, जो बेहतर वातन प्रदान करती हो, मिट्टी की भौतिक व जैविक स्थितियों में सुधार करती हो और जड़ प्रणाली के विकास को बढ़ावा देती हो। और इस प्रकार की सतह के निर्माण ने डंप की मिट्टी को स्थिर करने की ताकत दी।

इस परियोजना की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक जेएमडी स्थल पर पानी की आपूर्ति का एक स्थायी स्रोत विकसित करना था, क्योंकि ऐसा कोई जल स्रोत नहीं था, जो डंप के ढलान के साथ-साथ बिना ढलान वाले क्षेत्रों में भी वानस्पतिक विकास के प्रसार के माध्यम से प्रस्तावित जैविक सुधार को कायम रखने के लिए एक बारहमासी जल स्रोत प्रदान कर सके। ईको रिक्लेमेशन प्रक्रिया शुरू करने के लिए डंप स्थल के पास बह रहे एक बड़े नाले के पानी का पुनः उपयोग करने का प्रस्ताव था। इसके अतिरिक्त, डंप स्थल पर एक बार जब ढलानों को समतल कर दिया गया और एक टेबल टॉप बना दिया गया, तो इको-पार्क के स्व-निर्वाह के लिए इको-पार्क के भीतर वर्षा जल संचयन प्रणाली भी तैयार हो गई।

जेएमडी विकास का उद्देश्य पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित व टिकाऊ ’ग्रीन कवर’ और उपयुक्त ’जियो ग्रीन ब्लैंकेटिंग’ का निर्माण करना था, ताकि स्टील सिटी जमशेदपुर में सौंदर्य मूल्य जोड़ते हुए साइड स्लोप की रक्षा की जा सके और मिट्टी के कटाव को रोका जा सके एवं धूल को नियंत्रण किया जा सके।

संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) का एक मुख्य फोकस एरिया वनों के ह्रास का मुकाबला करना और बंजर भूमि का पुनर्वास करना और वनों के ह्रास को रोकने के लिए वन आवरण बनाना है। जेएमडी वायु प्रदूषण नियंत्रण में मदद कर, मृदा अपरदन और इको-पार्क के रूप में पौधारोपण एवं डंप पुनरुत्थान के माध्यम से जल निकायों के जल संदूषण को रोक कर यूएनसीसीडी के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद कर रहा है। जैव विविधता संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किए गए पुनरुत्थान, पुनर्वास कार्यों और इकोसिस्टम सेवाओं के प्रबंधन के माध्यम से जेएमडी विभिन्न प्रजातियों के औषधीय पौधों, पक्षियों, छोटे जानवरों, तितलियों आदि के लिए घर बन गया है।

यह परियोजना उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद तो करती ही है, भीषण गर्मी के दौरान आग लगने के खतरों को भी रोकती है। पुनर्निर्मित डंप के भीतर बनाए गए जल निकायों ने न केवल वर्षा जल संचयन में मदद की है, बल्कि मछलियों और बत्तखों के लिए एक नया घर बनाकर जैव विविधता को भी बढ़ाया है। जल निकायों में पानी का फव्वारा जल निकायों के वातन में मदद करता है और पूरे क्षेत्र को आकर्षक रूप प्रदान करता है। रिसाव और बहाव को रोकने के लिए पॉन्ड लाइनर्स का उपयोग किया जा रहा है। सिंचाई व लाइटिंग के लिए बिजली उत्पादन हेतू पार्क में सौर ऊर्जा भी पैदा की जा रही है। जेएमडी अब एक इको पार्क के रूप में विकसित हो चुका है और इसने डंप एरिया के पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम कर क्षेत्र में जैव विविधता को भी बढ़ाया है।