नहीं मिला आइसोलेशन सेंटर तो हो गया पेड़ पर आइसोलेट, जानिए पूरा मामला

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कोरोना काल में अगर एक और बुनियादी समस्या है तो वो है घरों में आइसोलेट करने के लिए जगह की कमी। बहुत से परिवार एक अकेले कमरे में रहते हैं जिसके अंदर किचन और कभी-कभी तो शौचालय भी शामिल होता है। ऐसे में अक्सर कोविड मरीज़ों को आइसोलेट करने के लिए जगह ही नहीं होती। यही कारण है कि तेलंगाना के नालगोंडा ज़िले में 18 वर्षीय शिवा ने अपने लिए एक कोविड वॉर्ड बनाने का फैसला किया- बांस की छड़ों से बना बेड, जिसे उसके घर के आंगन में स्थित एक पेड़ की टहनियों से बांधा गया है।

कोठानंदीकोंडा में रहते हुए, जो नालगोंडा ज़िले के अंदरूनी इलाके में बसा एक छोटा सा गांव है, शिवा का टेस्ट 4 मई को पॉज़िटिव आया था। अपनी जीवन स्थिति और गांव में कोई आइसोलेशन सेंटर न होने की वजह से शिवा के दिमाग में पेड़ के ऊपर आइसोलेट करने का विचार आया। वो अभी तक 11 दिन पेड़ पर गुज़ार चुका है। कोठानंदीकोंडा में करीब 350 परिवार रहते हैं और ये ज़िले के अदाविदेवुलापल्ली मंडल के अंतर्गत आने वाले बहुत से छोटे आदिवासी गांवों में से एक है। यहां के निवासियों का कहना है कि सबसे नज़दीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) 5 किलोमीटर दूर है और किसी गंभीर आपात चिकित्सा की स्थिति में गांवों के लोगों को अस्पताल के लिए 30 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।