काशी में इसी साल गंगा होगी प्रदूषण मुक्त, जानें पूरी रणनीति

उत्तर प्रदेश देश
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वाराणसी। वाराणसी में कुछ ही महीनों में गंगा के प्रदूषण मुक्त होने की संभावना है। वर्षो से गंगा में सीधे गिरने वाले नाले अब जीवन दायनी गंगा में नहीं गिरेंगे। योगी सरकार के प्रयास से 23 नालों में से 22 नालों का पानी शोधित होने लगे हैं। कुछ ही महीनों में बचा हुआ एक नाला भी बंद हो जाएगा।  इसके बाद काशी में गंगा निर्मल और अविरल हो जाएंगी।

गंगा में सीधे गिरने वाले प्रदूषित पानी को शोधित करने के लिए रमना और रामनगर स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का ट्रायल चल रहा है। अस्सी, सामने घाट, नक्खानाला व गंगा उस पार के 5 नालों के प्रदूषित जल को अब एसटीपी शोधित करने लगा है। रमना स्थित 50 एमएलडी (MILLION LITER A DAY) और रामनगर स्थित 10 एमएलडी का एसटीपी बन जाने से अब ये नाले टैप कर दिए गए है।  रमना व रामनगर एसटीपी के शुरू होने से गंगा में गिरने वाला करीब 50 से 60 एमएलडी से अधिक दूषित जल अब शोधित होकर ही गंगा में प्रवाहित होंगे। गंगा उस पार रामनगर में भी छोटे व बड़े 5 नाले मिलकर गंगा को प्रदूषित कर रहे थे।

गंगा प्रदूषण के परियोजना प्रबंधक एसके बर्मन ने बताया कि अस्सी, सामने घाट, नक्खानाला नाला टैप हो गया है। नगवां पंपिंग स्टेशन से नाले का पानी रमना एसटीपी तक भेजा जा रहा है। गंगा उस पार रामनगर के पांचों नाले को वहीं लगे एसटीपी शोधित कर रहे है। दोनों एसटीपी में टेस्टिंग व एस्टैब्लाइजशन की प्रक्रिया चल रही है। रमना एसटीपी का जुलाई में ट्रायल खत्म हो जाएगा। रामनगर एसटीपी का भी ट्रायल कुछ ही सप्‍ताह खत्म होने वाला है। इसके बाद ये 8 नाले भी हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे।

वाराणसी में 23 नाले सीधे गंगा में गिरते थे। इसमें से 19 नालों को पहले ही बंद किया जा चुका है। तीन नालों को और टैप करने के बाद महज एक खिड़कियां घाट का नाला शेष रह गया है। जो कोरोना काल के कारण रह गया है। कुछ महीनों में ये भी टैप कर हो जाएगा।

वाराणसी से 300 MLD सीवेज निकलता है। इसमे से 260 MLD शोधित होने लगा है। बचा हुआ 40 एमएलडी भी सीवेज जल्द शोधित होने लगेगा। तब वाराणसी का करीब-करीब पूरा सीवेज का ट्रीटमेंट हो जायेगा। वाराणसी में सीवेज के ट्रीटमेंट की योजना सन, 2030 से लेकर वर्ष, 2035 तक के लिए बनाई गई है।

वर्ष, 1986 में कांग्रेस की सरकार के समय गंगा एक्शन प्लान की शुरुआत हुई थी, जो सरकार की इच्छाशक्ति की कमी के कारण आगे चलकर धीरे-धीरे दम तोड़ती चली गई। साल 2014 में प्रधानमत्री मोदी ने जब गंगा को लेकर गंभीरता दिखाई, तब योगी सरकार के लगातार निरीक्षण और निर्देशन में मां गंगा को काशी में संजीवनी मिलना शुरू हुआ है।