पर्यावरणविद ने कोरोना से बचाव के लिए सटीक घरेलू नुस्‍खा अपनाने की अपील की

झारखंड
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अरविंद अग्रवाल

पलामू। पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल के गृहस्थ जीवन की शुरुआत 10 मई, 1980 को पलामू प्रमंडल के गढ़वा जिले अंतर्गत केतार (भवनाथपुर) निवासी बैकुंठ नारायण जायसवाल की सुपुत्री पूनम जायसवाल के साथ हुई थी। पर्यावरणविद के परिवार के सभी सदस्यों के जीवन के हर महत्वपूर्ण पल की शुरुआत पौधरोपण कर की जाती है। पर्यावरण धर्म से जुड़े मंत्रों की शपथ दिलाई जाती है।

पर्यावरणविद ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर कोरोना के कहर से बचने के लिए देश और राज्य के तमाम लोगों से एक घरेलू नुस्‍खा अपनाने की अपील की है, ताकि इससे राहत मिल सके। पर्यावरण के क्षेत्र में लंबे अनुभव के आधार पर उन्होंने दावा किया है कि उनके बताये गए नुस्‍खे से ऑक्सीजन की 70 से 80 फीसदी कमी को भी पूरा करने में मदद मिलेगी। वायरस को खत्म करने में भी। उन्होंने सभी लोगों से अपने-अपने घरों के आंगन और छत पर तुलसी और गिलोय पौधा लगाने एवं घर के सभी हिस्सों में धूप, तिल, जौ, अरवा चावल, सेंधा नमक और गुड़ को घी में मिलाकर आम की लकड़ी के साथ जलाकर उसके धुएं को घर के सभी हिस्सों में फैलाने की अपील की है। इससे निकले धुएं से घर में फैला वायरस नष्ट हो जाता है। ऑक्सीजन की भी भरपाई  हो जाती है।

पर्यावरणविद ने कहा कि यह सर्वविदित है कि हवन और पौधे से सीधा ऑक्सीजन मिलता है। इसके अलावे उन्होंने सभी लोगों से रात में सोते समय दूध में हल्दी मिलाकर सेवन करने एवं दिन में दो से तीन बार गिलोय, तुलसी, अदरख, लौंग, बड़ी इलाइची, गोल मिर्च और गुड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने एवं गरम पानी संधान नमक हल्दी और नींबू के रस मिलाकर  गलाला एवं भाप दो से तीन बार लेने को कहा है। उन्होंने ठंडे पेय पदार्थों का उपयोग नहीं करने की भी सलाह दी है। महामारी की कहर को देखते हुए पर्यावरणविद ने लोगों से डबल मास्क पहनने एवं अत्यधिक जरूरी होने पर ही घर से निकलने का आग्रह किया है। कहा कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए जागरुकता ही उपाय है। इसे हर एक लोगों को सख्ती से पालन करने की जरूरत है। तभी हम और हमारा देश इस लड़ाई को जीत पायेगा।