हिन्द महासागर में मिली 4 पैरों वाली मछली, डायनासोर के समय की है ये प्रजाति

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हिंद महासागर में मेडागास्कर के तट पर एक 4 पैरों वाली मछली जिंदा पकड़ी गई है। अब तक माना जाता था कि मछलियों की ये प्रजाति विलुप्त हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका के शार्क पकड़ने वाले शिकारियों का एक समूह जब समुद्र में शिकार करने उतरा, तो उनके हाथ ये मछली लग गई। मछलियों की ये प्रजाति 42 करोड़ साल पुरानी है, यानी उस जमाने की, जब धरती पर डायनासोर भी मौजूद थे। 1938 के बाद से इसे देखा नहीं गया था, लेकिन उसके बाद से पहली बार ये मछली जिंदा देखी गई है।

मछली की इस प्रजाति का नाम कोलैकैंथ्स (Coelacanth) है। मछली के आठ पंख हैं और विशाल शरीर है, जिसपर विशेष धारियां बनी हुई हैं। ये काफी गहराई में रहती है। दरअसल शिकारियों ने शार्क के पंख और तेल की तलाश में एक विशाल जाल ‘जिलनेट’ डाला था। ये जाल करीब 500 फुट नीचे तक जा सकता है। इतनी गहराई तक आम जाल नहीं जाते, इसलिए अब तक ये मछली पकड़ में नहीं आई थी। लेकिन जिलनेट उस गहराई तक चला गया, जहां इस प्रजाति की मझलियां रहती है, और उनमें से एक जाल में फंस गई।

इस मछली को 1938 तक विलुप्त माना जाता था लेकिन अब इसके जिंदा पकड़े जाने से वैज्ञानिक हैरानी जता रहे हैं। समुद्री वैज्ञानिकों का कहना है कि इन मछलियों के संरक्षण के लिए उपाय किए जाएं। वैज्ञानिकों को डर सता रहा है कि जिलनेट के अधिक इस्तेमाल से इस मछली का शिकार बढ़ सकता है। दक्षिण अफ्रीकी जर्नल ऑफ साइंस ने एक शोध के मुताबिक शार्क के बढ़ते शिकार के कारण कोलैकैंथ्स (Coelacanths) मछलियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। ये बड़ी बात है कि किसी तरह के संरक्षण नहीं होने के बावजूद मछलियों की ये प्रजाति 42 करोड़ साल से अपना अस्तित्व बचाये हुए है। लेकिन अब जब शिकारियों को इसकी मौजूदगी का पता चल गया है, तो बिना उचित संरक्षण के इनका बचना मुश्किल है।