- मुख्य सचिव के 18 अप्रैल के निर्देश की अनदेखी का आरोप
रांची। स्कूलों में शिक्षकों की 50 फीसदी उपस्थिति के आदेश का अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने विरोध किया है। संघ का कहना है कि कोरोना संक्रमण की अनियंत्रित गति के बीच विद्यालय आने की बाध्यता समाप्त होनी चाहिए। इस मामले में मुख्य सचिव के 18 अप्रैल के निर्देश की अनदेखी का आरोप लगाया।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा आज सभी विद्यालयों में पचास प्रतिशत उपस्थिति के साथ शिक्षको को विद्यालय में रहने का आदेश जारी किया गया है। इसपर संघ के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कड़ी आपत्ति जताई है। इसे अमान्य करने योग्य करार दिया है। पदधारियों ने कहा कि कोरोना संक्रमण की भयावहता को देखते हुए मुख्यमंत्री के निर्देश पर गत रविवार को ही मुख्य सचिव ने राज्य के सभी स्कूलों जो अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश निर्गत किया है।
पदधारियों ने कहा कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा इसे दरकिनार करते हुए स्कूल खोलकर शिक्षकों को विद्यालय में बने रहने का हास्यास्पद आदेश जारी किया है। रोस्टर आधारित उपस्थिति का आदेश सरकार की पुरानी व्यवस्था थी, जो 18 अप्रैल के मुख्य सचिव के दिशा निर्देश के बाद स्कूलों के परिप्रेक्ष्य में अर्थहीन हो चुकी है।
संघ ने कहा है कि कई जिलों में कार्यालय और विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षा कर्मी संक्रमित हो रहे है। इनमें से कई लोगो की जानें भी जा चुकी है। शिक्षकों को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के आदेश के विपरीत विद्यालय आने के लिए बाध्य करना कोरोना संक्रमण को गति देने वाला प्रशासकीय चूक होगा। इसका दुष्परिणाम शिक्षकों एवं उनके परिवारों को भुगतने की आशंका प्रबल होती दिखती है। इसलिए 50 प्रतिशत रोस्टर उपस्थिति के आदेश को संशोधित करते हुए मुख्य सचिव के 18 अप्रैल के निर्देश के अनुसार वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था विभाग बहाल करे। ऐसा नहीं होने पर शिक्षकों को कार्य बहिष्कार के लिए बाध्य होने पड़ सकता है।