रांची। राजधानी रांची के दूसरे सबसे बड़े कोविड सेंटर सदर अस्पताल में व्यवस्था बेपटरी होती जा रही है। पहले से ही कोरोना मरीज बेड के लिए गुहार लगा रहे हैं। ऑक्सीजन की समस्या से सभी जूझ रहे हैं। वहीं, वार्ड में उन्हें प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं मिल पा रहा है। अब अस्पताल की तीन दर्जन सीनियर नर्सें हड़ताल पर चली गई हैं, जिससे कि मरीजों के लिए परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है। उनके हड़ताल पर चले जाने के बाद अब मरीज आउट सोर्स नर्स और स्टाफ के भरोसे हैं।
अस्पताल में फिलहाल कोरोना के 400 मरीज एडमिट हैं, जिनमें 300 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ इलाज करा रहे हैं। इन्हें सबसे ज्यादा केयर की जरूरत है और उन्हें दवाएं भी टाइम से देनी है, लेकिन नसों की कमी की वजह से उन्हें प्रॉपर इलाज नहीं मिल पा रहा है। परिजन डॉक्टर से लेकर स्टाफ तक दौड़ लगा रहे हैं कि उनके मरीज को देख लें, लेकिन मैन पावर की कमी मरीजों की देखभाल में बड़ी बाधा बन रही है।
बताते चलें कि आउटसोर्स के 100 से ज्यादा स्टाफ हैं, जिसमें वार्ड बॉय भी शामिल हैं। वहीं उनका अनुभव भी कम है। अस्पताल में नॉर्मल दिनों में मैटरनिटी और चाइल्ड वार्ड में मरीज एडमिट रहते थे। इसके अलावा जनरल वार्ड के भी मरीज का इलाज किया जा रहा था। ड्यूटी में तैनात सीनियर नर्सों ने पहले भी बकाया इंसेंटिव देने की मांग की थी, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
अब कोरोना महामारी में वह अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा करने में जुटी हैं। उसके बाद भी उन्हें 6 महीने से इंसेंटिव नहीं मिला। हार कर यह सीनियर नर्सें स्ट्राइक पर चली गई हैं।