रांची। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के शैक्षिक प्रकोष्ठ द्वारा शोध के विषय, गुणवत्ता और प्रक्रिया पर ऑनलाईन विमर्श का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में यूपी के ग्रेटर नोएडा स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भगवती प्रकाश शर्मा मुख्य वक्ता थे। उन्होंने कहा कि आज शोध के विषय के रूप में भारत की विविधतापूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक समाज की विशेषता, भारतीय वान्ग्मय में निहित ज्ञान राशि के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पक्ष एवं भारतीय इतिहास की सम्यक दृष्टि का अभाव दिखता है। आज आवश्यकता है कि भारत के शास्त्रों एवं लोक के विविध रंगों को अपने अध्ययन का केंद्र बनाया जाय। हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भी ऐसी ही अपेक्षा है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष प्रो जेपी सिंघल ने कहा कि एक राष्ट्रीय शैक्षिक संगठन के रूप में हमारा यह दायित्व है कि इस प्रकार के विभिन्न विषयों को वर्गीकृत कर अलग-अलग विषयों में रूचि रखने वाले अध्यापकों का समूह बनाया जाय, जो इस प्रकार के शोध विषयों को बढ़ावा दे सके। उन्होंने शोध की गुणवत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि शोध निर्देशक और शोधार्थियों को चलती आ रही परिपाटियों को छोड़ना होगा। उन्हें सुविधाजनक मानसिकता से बाहर निकल कर मौलिक शोध को बढ़ावा देना होगा।
संगोष्ठी में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेन्द्र कपूर, राष्ट्रीय महामंत्री शिवानन्द सिन्दकेरा, अतिरिक्त महामंत्री डा निर्मला यादव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हिम्मत सिंह जैन, पी वेंकटराव, डॉ कल्पना पांडे, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष संजय कुमार राउत, संयुक्त मंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता सहित अनेक राज्यों के प्रतिनिधि शामिल थे। संगोष्ठी में झारखंड से डॉ राजीव रंजन एवं डॉ राजेन्द्र मिस्त्री शामिल हुए। संगोष्ठी का संचालन शैक्षिक प्रकोष्ठ के अखिल भारतीय प्रमुख प्रो शैलेश मिश्रा और धन्यवाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो माधव गोविन्द ने किया।