हीमोफिलिया फेडरेशन इंडिया के समिट में अहम जानकारियों का अदान-प्रदान

देश नई दिल्ली
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नई दिल्‍ली। हीमोफिलिया फेडरेशन इंडिया (HFI) ने ‘नेशनल हीमोफिलिया मैनेजमेंट समिट’ का वर्चुअली आयोजन किया। रोश के सहयोग से हीमोफिलिया के मरीज, डॉक्टर्स और नीति निर्माताओं के लिए यह हुआ। इसमें अहम जानकारियों का आदान-प्रदान कि‍या गया। सम्मेलन को यूट्यूब और फेसबुक पर स्ट्रीम भी किया गया। इस साल लोगों को ‘परिवर्तन के लिए अनुकूलन-अयोग्यता से योग्यता तक’ का संदेश दिया गया।

सम्मेलन को भुवनेश्वर संसदीय क्षेत्र की सांसद अपराजिता सारंगी ने भी संबोधित किया। उनके अलावा डॉ संजय कांत प्रसाद (उप-मुख्य आयुक्त, विकलांगता, सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय, भारत सरकार), श्रीमती विनीता श्रीवास्तव (राष्ट्रीय सीनियर कंसल्टेंट और को-ऑर्डिनेटर, ब्लड सेल- एनएचएम, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय), डॉ तुलिका सेठ (प्रोफेसर, एम्स-नई दिल्ली), सुश्री दीपा मलिक (पैरालम्पियन और अर्जुन अवार्डी), और अरमान अली (कार्यकारी निदेशक, एनसीपीईडीपी) ने भी अपने विचार रखें।

सम्मेलन की शुरुआत में एचएफआई के अध्यक्ष मुकेश गरोडिया ने कहा कि हीमोफिलिया को आरपीडब्ल्यूडी एक्ट 2016 में विकलांगता के तौर पर इंगित किया गया है। हालांकि इसे एक मानक विकलांगता की श्रेणी में नहीं रखा गया है। इसकी वजह से कई समस्याएं पैदा हो गई हैं, जैसे रोजगार में आरक्षण प्राप्त करने में असमर्थता। इसकी वजह से इससे जूझ रहे मरीजों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

रोश फार्मा के प्रबंध निदेशक सिम्पसन वी इमैनुएल ने कहा कि हीमोफिलिया के बारे में जागरुकता फैलाते हुए इससे पीड़ित लोगों के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। अगर शुरुआत में ही डायग्नोज हो जाता है तो काफी हद तक मरीज की सेहत में सुधार भी हो सकता है। हीमोफिलिया को लेकर लोगों की जागरुकता और डायग्नोज करने के लिए संसाधन की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी डायग्नोज नहीं हुए हैं। अगर इस रोग का पता जल्दी लगा लिया जाए तो इससे कम नुकसान होता है। मैनेजमेंट की बात करें तो हीमोफीलिया पेशेंट्स में ब्लीडिंग रोकने और रोकने के लिए प्रोफिलैक्सिस स्टैंडर्ड केयर बना हुआ है। ग्लोबली, प्रोफिलैक्सिस ब्लीडिंग, लॉन्ग टर्म कॉम्प्लिकेशंस, और डिसेबिलिटी को कम करने में अत्यधिक प्रभावी साबित हुआ है। यह आर्थोपेडिक सर्जरी की आवश्यकता को भी कम करता है। इस प्रकार हीमोफीलिया पेशेंट्स की लाइफ क्वालिटी में काफी सुधार हुआ है।