खूंटी। अफीम की खेती के विकल्प के रूप में औषधीय और सगंध पौधों की खेती को जिले में स्थापित करने का एक सपना साकार हुआ है। खूंटी जिले में लोग लेमनग्रास, तुलसी, पामारोजा की खेती करना तो चाहते हैं, लेकिन खेती के बाद तेल निकालने और बाजार की व्यवस्था को लेकर किसान चिंतित थे। इसके कारण औषधीय और सगंध पौधों की खेती जोर नहीं पकड़ पा रही थी। लेकिन स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, जिले के डीसी शशि रंजन के अथक प्रयास के बाद जिले में मुरहू प्रखंड अंतर्गत सुरूंदा गांव में आसवन ईकाई का अधिष्ठापन हुआ। जिसका सफल ट्रायल शुक्रवार को किया गया। इस मौके पर जेएसएलपीएस के डीपीएम शैलेश रंजन, ग्रामप्रधान सवना मुंडू समेत सुरूंदा गांव में महिला-पुरूष उपस्थित थे।
गांव के सीमाराम पाहन ने ट्रायल से पूर्व केटे सिंङबोंगा का आह्वान किया। पाहन ने गोवारी करते हुए सिंङबोंगा से कामना की कि यह आसवन केंद्र सफलता पूर्वक चले। इससे खूंटी जिले के लोगों को लाभ मिले। लोग बुराईयों को त्यागकर सही राह को अपनाऐं और गांव-घर में खुशियां आए।
आसवन केंद्र के स्थापित होने से सुरूंदा गांव समेत आसपास के लोगों में खुशी की लहर है। दर्जनों किसान अब लेमनग्रास की खेती करने की तैयारियों में जुट गए हैं।
आसवन ईकाई का उदघाटन 13 अप्रैल को होना था, जिसे कोविड-19 के कारण डीसी शशि रंजन के निर्देशानुसार स्थगित कर दिया गया है। कोरोना संक्रमण के कम होते और सरकार के नये गाईड लाईन के आने के बाद उदघाटन की तिथि तय की जाएगी।
अत्याधुनिक है आसवन केंद्र
सुरूंदा में अधिष्ठापित आसवन ईकाई की तमाम मशीने असम से मंगवाई गई है। यह झारखंड में सबसे बेहतर और आधुनिक आसवन ईकाई है। इससे एक टन लेमनग्रास का तेल का पहला खेप चाढ़े चार घंटे में और उसके बाद लगातार हर तीन घंटे में दस-दस लीटर तेल निकाले जा सकते हैं।
लगभग 200 एकड़ में हुई खेती
जिले में जेएसएलपीएस के द्वारा 135 एकड़ में और सेवा वेलफेयर सोसाईटी द्वारा 60 एकड़ में लेमनग्रास की खेती की गई, जिससे अब तेल निकालना आसान हो गया है।
अकांक्षी जिला योजना के तहत लगा है ईकाई
सुरूंदा में आसवन ईकाई की अधिष्ठापन अकांक्षी जिला योजना के तहत लगाया गया है। जिसकी लागत 19 लाख रूपये है। सेवा वेलफेयर सोसाईटी इसके अधिष्ठापन के लिए पिछले दो वर्षों से ग्रामसभा और जिला प्रशासन के बीच की कड़ी बनकर काम किया।
कई जरूरतें हैं शेष
आसवन ईकाई की चाहरदीवारी समेत दो कमरे, शौचालय, बोरिंग, बिजली, ट्रस्ट आदि की आवश्यकता है। संभावना है कि इन आवश्यकताओं को भी जिला प्रशासन जल्द पूरा करेगा। ऐसा ग्रामप्रधान सवना मुंडू मानते हैं।